~ वैदिक पंचांग ~ ?
?️ दिनांक – 14 जून 2022
?️ दिन – मंगलवार
?️ विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)
?️ शक संवत -1944
?️ अयन – उत्तरायण
?️ ऋतु – ग्रीष्म ऋतु
?️ मास – ज्येष्ठ
?️ पक्ष – शुक्ल
?️ तिथि – पूर्णिमा शाम 05:21 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
?️ नक्षत्र – जेष्ठा शाम 06:32 तक तत्पश्चात मूल
?️ योग – साध्य सुबह 09:40 तक तत्पश्चात शुभ
?️ राहुकाल – शाम 04:00 से शाम 05:41 तक
? सूर्योदय – 05:57
?️ सूर्यास्त – 19:20
? दिशाशूल – उत्तर दिशा में
? व्रत पर्व विवरण – ज्येष्ठ पूर्णिमा, देवस्नान पूर्णिमा, बटसावित्री व्रत (एक दिवसीय) संत कबीर जयंती
? विशेष – पूर्णिमा,और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
? ~ वैदिक पंचांग ~ ?
? षडशीति संक्रान्ती ?
? 15 जून 2022 बुधवार को षडशीति संक्रान्ती है ।
? पुण्यकाल : दोपहर 12:05 से शाम 06:29 तक… जप,तप,ध्यान और सेवा का पूण्य 86000 गुना है !!!
? इस दिन करोड़ काम छोड़कर अधिक से अधिक समय जप – ध्यान, प्रार्थना में लगायें।
? षडशीति संक्रांति में किये गए जप ध्यान का फल ८६००० गुना होता है – (पद्म पुराण )
? ~ वैदिक पंचांग ~ ?
? विद्यालाभ योग ?
➡ 16 एवं 17 जून 2022 गुरुवार एवं शुक्रवार को विद्यालाभ योग (गुजरात एवं महाराष्ट्र छोड़कर भारतभर में)
?? विद्यालाभ के लिए मंत्र
?? ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिह्वाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा ।
➡ इस मंत्र को 16 जून 2022 को दोपहर 12:37 से रात्रि 11:45 या 17 जून 2022 को प्रातः 03:00 सुबह 09:56 तक 108 बार जप लें और फिर मंत्रजप के बाद उसी दिन रात्रि 11:00 से 12:00 बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से “ह्रीं ” मंत्र लिख दें । जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा, उसे विद्यालाभ व विद्वत्ता की प्राप्ति होगी |
? विशेष – (ध्यान दें :- गुजरात एवं महाराष्ट्र में यह योग 13 जुलाई 2022 को है ।)