~ आज का हिन्दू पंचांग ~
⛅दिनांक – 23 जुलाई 2022
⛅दिन – शनिवार
⛅विक्रम संवत – 2079
⛅शक संवत – 1944
⛅अयन – दक्षिणायन
⛅ऋतु – वर्षा
⛅मास – श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)
⛅पक्ष – कृष्ण
⛅तिथि – दशमी सुबह 11:27 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅नक्षत्र – कृतिका शाम 07:03 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅योग – गण्ड दोपहर 01:08 तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅राहु काल – सुबह 09:26 से 11:06 तक
⛅सूर्योदय – 06:06
⛅सूर्यास्त – 07:26
⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्म मुहूर्त – प्रातः 04:41 से 05:24 तक
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:25 से 01:08 तक
⛅व्रत पर्व विवरण –
⛅ विशेष – दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । एकादशी को चावल खाना वर्जित है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
?कामिका एकादशी?
एकादशी 23 जुलाई शनिवार सुबह 11:28 से 24 जुलाई रविवार दोपहर 01:45 तक ।
?व्रत उपवास 24 जुलाई रविवार को रखें ।
?शनिवार के दिन विशेष प्रयोग?
? ‘ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं – ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी । जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी ।’ (ब्रह्म पुराण)
?शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष को दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मन्त्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)
?हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)
?आर्थिक कष्ट निवारण हेतु?
?एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।
?ऋषि प्रसाद – मई 2018 से
?बुद्धि का विकास और नाश कैसे होता है ??
बुद्धि का नाश कैसे होता है और विकास कैसे होता है ? विद्यार्थियों को तो ख़ास समझना चाहिए न ! बुद्धि नष्ट कैसे होती है ? बुद्धि: शोकेन नश्यति । भूतकाल कि बातें याद करके ‘ऐसा नहीं हुआ, वैसा नही हुआ…’ ऐसा करके जो चिंता करते हैं न , उनकी बुद्धि का नाश होता है । और ‘मैं ऐसा करके ऐसा बनूंगा, ऐसा बनूंगा…’ यह चिंतन बुद्धि-नाश तो नहीं करता लेकिन बुद्धि को भ्रमित कर देता है । और ‘मैं कौन हूँ ? सुख-दुःख को देखनेवाला कौन ? बचपन बीत गया फिर भी जो नहीं बीता वह कौन ? जवानी बदल रही है, सुख-दुःख बदल रहा है , सब बदल रहा है, इसको जाननेवाला मैं कौन हूँ ? प्रभु ! मुझे बताओ …’ इस प्रकार का चिंतन, थोड़ा अपने को खोजना, भगवान के नाम का जप और शास्त्र का पठन करना- इससे बुद्धि ऐसी बढ़ेगी, ऐसी बढ़ेगी कि दुनिया का प्रसिद्द बुद्धिमान भी उसके चरणों में सिर झुकायेगा ।
?बुद्धि बढ़ाने के ४ तरीके?
१] शास्त्र का पठन
२] भगवन्नाम-जप, भगवद-ध्यान
३] आश्रम आदि पवित्र स्थानों में जाना
४] ब्रह्मवेत्ता महापुरुष का सत्संग-सान्निध्य
?जप करने से, ध्यान करने से बुद्धि का विकास होता है । जरा – जरा बात में दु:खी काहे को होना ? जरा – जरा बात में प्रभावित काहे को होना ? ‘यह मिल गया, वह मिल गया…’ मिल गया तो क्या है !
?ज्यादा सुखी – दु:खी होना यह कम बुद्धिवाले का काम है । जैसे बच्चे की कम बुद्धि होती है तो जरा- से चॉकलेट में, जरा-सी चीज में खुश हो जाता है, और जरा-सी चीज हटी तो दु:खी हो जाता है । वही जब बड़ा होता है तो चार आने का चॉकलेट आया तो क्या, गया तो क्या ! ऐसे ही संसार की जरा-जरा सुविधा में जो अपने को भाग्यशाली मानता है उसकी बुद्धि का विकास नहीं होता और जो जरा-से नुकसान में आपने को अभागा मानता है उसकी बुद्धि मारी जाती है । अरे ! यह सब सपना है, आता-जाता है । जो रहता है, उस नित्य तत्त्व में जो टिके उसकी बुद्धि तो गजब की विकसित होती है ! सुख-दुःख में, लाभ-हानि में, मान-अपमान में सम रहना तो बुद्धि परमात्मा में स्थित रहेगी और स्थित बुद्धि ही महान हो जायेगी ।