पठानकोट, 27 सितम्बर (प्रेस की ताकत बयूरो) – चरनजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्य मंत्री बनने के करीब एक हफ़्ते बाद हुई भारी भारी बहस के चलते हाईकमांड ने आख़िरकार कैबिनेट बनाने की मंज़ूरी दे दी, जिस का बीते दिन कसम उठा समागम पूरा हो गया। कैबिनेट के विस्तार के लिए कई बार मुख्य मंत्री चन्नी को दिल्ली जाना पड़ा और कैप्टन के पाँच समर्थकों को नये मंत्री मंडल में जगह नहीं मिली, जिस में राणा गुरमीत सिंह सोढी, साधु सिंह धरमसोत, गुरप्रीत सिंह कांगड़, शरणार्थी सुंदर अरोड़ा और बलबीर सिद्धू शामल हैं। प्रैस कान्फ़्रेंस में जिस तरीको साथ पूर्व मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू और कांगड़ ने अपनी बात रखी, उस के साथ सिद्धू की आँखों में अश्रु आ गए। इस से सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस के साथ उन का अक्स ख़राब हुआ है और वह हाईकमांड से नाराज़ हैं।
बता दें कि यह हालात कैप्टन ग्रुप के लिए वरदान हैं। इस का कारण यह है कि जिन्हे लोग हाईकमांड से नाराज़ होंगे, वह आख़िरकार कैप्टन अमरिन्दर सिंह की तरफ देखेंगे कि वह कौन सी राजनैतिक रणनीति बनाते हैं। दूसरे तरफ़ दिन -ब -दिन लोगों के दिल में अपनी जगह बना रहे नये मुख्य मंत्री चन्नी के लिए इस समय सब से बड़ी चुनौती यह है कि मीडिया में उन के अच्छे कामों साथ साथ उन के हर फ़ैसले में किसी ओर के प्रभाव की ख़बर उन की स्थिति को प्रभावित करेगी।
कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू जिस तरह अपना प्रभाव दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, वह मुख्य मंत्री के अक्स के लिए अच्छा नहीं। मुख्य मंत्री के कंधे पर हाथ रखना, हरेक मुलाकात में रुकावट डालना और फ्री हो कर काम न करन देना आदि की चर्चा सोसल मीडिया पर बहुत वायरल हो रही है। इन चुणौतियों के बावजूद मुख्य मंत्री चन्नी अब अपने मंत्री मंडल के साथ काम करन की अच्छी स्थिति में होंगे और धीरे धीरे नकारात्मिक खबरें, जो पार्टी की वर्गवादम् को उतशाहत करन वाली ने, वह कम होने की उम्मीद है।
इसके लिए नवजोत सिंह सिद्धू ने जो भी अपने काम करवाना हैं या एजेंडा बनाना है, उसको पर्दो के पीछे करना पड़ेगा। उसे इस बात का धीरज रखना पड़ेगा कि वह इस बार भी मुख्य मंत्री नहीं बन सके। यदि वह 2022 की मतदान जीत जाते हैं तो इसका सेहरा मुख्य मंत्री चन्नी और उसकी टीम को ही जायेगा। ऐसे हालात में उन को अपनी भूमिकें पर काबू रखना पड़ेगा ताकि पार्टी को फ़ायदा हो सके, नहीं तो इस वर्गवादम् का लाभ कैप्टन धढ़े को होने वाला है, जो सिद्धू की छोटी सी गलती कारण पैदा हुई स्थिति का लाभ लेने की कोशिश करेगा।
इस के साथ ही सिद्धू और उन के साथियों को इस बात का मान होना चाहिए कि उन्हों ने कैप्टन अमरिन्दर की सरकार का तख़्ता पलट कर एक नया इतिहास सृजन करा है, जिस बारे कोई सोच भी नहीं सकता था। अब यह धढ़ा छोटी -छोटी बातों में उलझ जायेगा, जिस का नुक्सान पार्टी साथ-साथ उन को निजी तौर भी पहुंचाएगा।
दूसरे तरफ़ हाईकमांड ने सुनील जाखड़ को मना कर एक बहुत बढ़िया काम किया है। निश्चित रूप से जाखड़ को इस बात की राहत मिली है कि गांधी परिवार उन के साथ चट्टान की तरह खडा लगता है, जिस के साथ उन के भविष्य की राजनीति सुहानी रहने वाली है। सुनील जाखड़ पार्टी के लिए एक मज़बूत हन्दू चेहरा है, जिसकी पंजाब भर में बहुत ज़्यादा पहुँच है। दोआबे के विधायकों की तरफ से राणा गुरजीत के सम्बन्ध में लिखे पत्र का मीडिया में आना पार्टी के लिए दुखदायी है, क्योंकि राणा गुरजीत अब कैबिनेट मंत्री बन गए हैं। इसी लिए इस मुद्दे को पार्टी ख़त्म कर दे।
राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं, यदि असंतुशटी बढ़ती है तो बहुमत खतरे में है। पंजाब के नये मुख्य मंत्री चन्नी को अपने बहुमत को बचाने के लिए सख़्त कोशिश करनी पड़ेगी कि किसी भी हालात में 20 -25 विधायक कैप्टन के धढ़ो में न जाएँ, नहीं तो सरकार का खतरे में पड़ सकती है। इस के साथ ही राशटरपती का ओहदा संभालना कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी साबित होगा। इसके लिए हर किसी को अपनी अहंकार को छोड़ कर हर बड़े या छोटे नेता को साथ ले कर चलने की ज़रूरत होती है।
अगले एक -दो महीनों में यदि पार्टी एकजुट रहती है, तो वह 2022 की मतदान को बढ़िया ढंग के साथ लड़ सकती है और नये वायदे कर सकती है। इन दो -तीन महीनों की कारगुज़ारी को देखने के बाद, यदि लोगों में चन्नी के प्रति कोई उम्मीद जागदी है तो कांग्रेस के लिए इस से अधिक सुख वाली स्थिति कोई नहीं हो सकती। इस के लिए पंजाब सरकार को 2022 से पहले वह कदम उठाने पड़ेंगे, जो उन के लिए सही होने।
अकाली दल -बसपा गठजोड, भाजपा, आम आदमी पार्टी साथ-साथ अब कैप्टन धढ़ा भी इस मौजूदा सरकार के लिए खतरे की घंटी है। रोज़मर्रा की होने वाले राजनैतिक विशलेशक इस राजनैतिक गतिविधि पर के पास से नज़र रख रहे हैं। मुख्य मंत्री की चयन दौरान जिस ढंग के साथ कांग्रेस हाईकमांड की कमज़ोरी सामने आई, वह हरेक किसी को हैरान कर देने वाली थी। अब धीरे धीरे हाई कमांड भी सावधानी के साथ अपनी, चालों खेलेगी। सभी की नज़रों उस पर भी होंगी।