वायदा करने वाले सत्तासीन नेता बताएं हवाईअड्डे की स्तिथि क्या है ?
अम्बाला छावनी में बनने वाले प्रस्तावित नागरिक हवाईअड्डे बारे जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मार्च 2020 में प्राप्त सूचना का हवाला देते हुए इनैलो प्रदेश प्रवक्ता ओंकार सिंह ने कहाकि सूचना अनुसार 2020 तक इस बारे कोई भी प्रगति नही हुई थी। उन्होंने कहाकि बीजेपी नेताओं ने लोकसभा व विधानसभा चुनाव के समय छेत्र की भोली-भाली जनता को 15 जुलाई 2019 से निजी उड़ाने शुरू करने बारे गुमराह करने वाले तथ्य दिखाकर वोट प्राप्त किया था। विधानसभा चुनावों दौरान भी सब्जबाग दिखाए गए थे कि अम्बाला छावनी हवाईअड्डे लखनऊ सहित देश के प्रमुख शहरों के लिए उड़ाने शुरू की जाएंगी। इस सम्बंध में अखबारो व सोशल मीडिया द्वारा खूब वाहवाही बटोरी गयी और अम्बाला छावनी की जनता ने गुमराह होकर बीजेपी के पक्ष ने वोट भी किया लेकिन नतीजा जीरो का जीरो ही निकला। जुमलेबाजी के लिए मशहूर बीजेपी ने शायद यह भी एक जुमला ही दिया था। इस सम्बंध में जब राज्य जनसूचना अधिकारी से 18 फरवरी 2020 को 8 बिंदुओं पर सूचना मांगी गई की क्या अम्बाला छावनी में निजी उड़ानों के लिए हवाईअड्डा बनाया जा रहा है,इस बारे नागरिक उड्डयन मंत्रालय से मंजूरी मिल गयी है या नही, हवाईअड्डा कब तक शुरू हो जाएगा, इस पर कितना खर्च आया, क्या इसके किए भूमि अधिग्रहित की गई है, सूचना की तिथि तक कितनी धनराशि खर्च हो चुकी है और कितना कार्य पूरा हो चुका है, हवाईअड्डे की योजना वास्तव में है भी या नही। इस बारे हरियाणा राज्य नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा जो सूचना दी गयी वो हैरान करने वाली और चौकाने वाली थी कि नागरिक हवाईअड्डे के लिए अभी तक एक इंच जमीन भी अधिगृहीत नही की गई, एक रुपया भी खर्च नही किया गया, अनुमानित खर्च भी पता नही कितना होगा और प्रस्तावित उड़ाने पता नही कब शुरू होंगीं। उन्होंने कहाकि चुनाव से पूर्व बीजेपी के कई छुटभैये नेता तो नागरिक हवाईअड्डे के जुलाई 15 तक शुरू होने का ऐसे गुणगान कर रहे थे मानो कार्य पूर्ण हो चुका है बस रिबन काटने की कमी है। झूठ का इन नेताओं से चोली-दामन के साथ है। निःसन्देह नागरिक उड़ाने शुरू होने से अम्बाला छावनी की जनता के साथ साथ पूरा प्रदेश लाभान्वित होता लेकिन जुमलों से तो नुकसान के अतिरिक्त कुछ हासिल होने वाला नही। इस मामले में अब एक ओर आरटीआई लगा कर सूचना मांगी गई है जिसके प्राप्त होने पर जनता को सच्चाई से रूबरू करवाया जाएगा। देखना अब यह है कि आगामी चुनाव से पूर्व सत्तासीन नेता इस मुद्दे को लेकर अम्बाला छावनी की भोली भाली जनता को कितना गुमराह कर पाएंगे और इसका नतीजा क्या निकलेगा।