17 मार्च 2010 को शहर और सदर दोनों की नगर परिषदों को साथ मिलाकर बनी थी नगर निगम
वर्ष 2019 में अम्बाला नगर निगम में से सदर क्षेत्र को बाहर निकालकर उसके लिए पुन: नगर परिषद बनी
अम्बाला -17 मार्च 2022 अम्बाला नगर निगम को स्थापित हुए 12 वर्ष पूरे हो गए हैं. हालांकि इसकी वर्षगाँठ पर न तो नगर निगम सदन (मेयर) और न ही निगम प्रशासन (कमिश्नर) पर किसी प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया.
शहर निवासी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने अम्बाला नगर निगम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सर्वप्रथम 17 मार्च 2010 को हरियाणा की तत्कालीन हुड्डा सरकार द्वारा सात अलग अलग नोटिफिकेशन्स जारी कर प्रदेश में सात नई नगर निगमें स्थापित की गई थीं जिनमें अम्बाला, पंचकूला, यमुनानगर, हिसार, करनाल, पानीपत और रोहतक शामिल थीं. उससे पूर्व हरियाणा में केवल फरीदाबाद और गुरुग्राम नगर निगम ही थीं.
बहरहाल, उन्होंने आगे बताया कि अम्बाला नगर निगम को स्थापित के लिए तत्कालीन अम्बाला शहर नगर परिषद और अम्बाला सदर (कैंट ) नगर परिषद दोनों को एक साथ मिला दिया गया था ताकि संयुक्त अम्बाला नगर निगम के अंतर्गत पड़ने वाली आबादी तीन लाख पूरी हो जाए जोकि हरियाणा में नई नगर निगम स्थापित करने के लिए कानूनन आवश्यक है. यही नहीं शहर के साथ लगते कुछ गांवो को भी नगर निगम में शामिल किया गया था. शहर और सदर दोनों नगर परिषदों को साथ मिलाकर नगर निगम बनने से अप्रैल, 2010 उक्त दोनों स्थानों पर होने वाले आम चुनाव भी रद्द हो गए थे.
बहरहाल, इसके कुछ समय बाद तत्कालीन अम्बाला नगर निगम में कुल वार्ड 20 निर्धारित किये गए थे जिनमें से 11 वार्ड नगर निगम के शहर जोन (क्षेत्र ) में जबकि 9 वार्ड सदर (कैंट ) जोन में पड़ते थे. अम्बाला नगर निगम के पहले आम चुनाव टलते-टलते इसकी स्थापना के तीन वर्ष अढ़ाई माह पश्चात 2 जून, 2013 को करवाए गए थे एवं 7 जून, 2013 को नव निर्वाचित नगर निगम सदस्यों (पार्षदों) की निर्वाचन नोटिफिकेशन जारी की गयी जिसके 30 दिनों के भीतर ही पहले 2 जुलाई, 2013 को निर्दलयी रमेश मल को नगर निगम अम्बाला का पहला मेयर चुना गया था जबकि 1 अगस्त 2013 को दुर्गा सिंह अत्री को सीनियर डिप्टी मेयर और सुधीर जैसवाल को डिप्टी मेयर चुना गया अर्थात इन दोनों पदों का चुनाव भी 60 दिनों से पहले ही करवा लिया गया था.
इसके बाद अक्टूबर, 2014 में हरियाणा में पहली बार भाजपा ने स्वयं के बलबूते पर सरकार बनायीं. तब कैंट से विधायक बने अनिल विज को सर्वप्रथम प्रदेश में कैबिनेट मंत्री बने. इसी दौरान उन्होंने अम्बाला नगर निगम में से उनके गृहक्षेत्र सदर जोन (कैंट ) को बाहर निकालने हेतु राज्य सरकार से मामला उठायाएवं फरवरी, 2018 में हरियाणा कैबिनेट द्वारा अम्बाला नगर निगम को तोड़कर शहर और सदर (कैंट) के लिए दो अलग अलग नगर परिषद् बनाने को स्वीकृति दे दी गयी जिसे तब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दे दी गयी एवं करीब डेढ़ वर्ष तक यह मामला कोर्ट में लंबित रहा अंतत: जुलाई 2019 में राज्य सरकार ने अम्बाला सदर के लिए अलग नगर परिषद् और अम्बाला शहर के लिए नगर निगम को कायम रखने का निर्णय लिया जिसके बाद हाई कोर्ट से मामले का निपटारा हो गया.
11 सितम्बर, 2019 को अम्बाला नगर निगम में से तत्कालीन सदर जोन क्षेत्र को बाहर निकाल फिर से अम्बाला सदर नगर परिषद स्थापति कर दी गयी. उससे पूर्व 26 जुलाई, 2019 को शहर के 12 गांवों दंडदेहरी, निजामपुर , मानकपुर, लोहगढ़, कालू माज़रा, लिहारसा, घेल कलां, घेल खुर्द, कांवाला एवं कंवाली, देवी नगर और दडियाना जिनमे 11 ग्राम पंचायतो शामिल थी को अम्बाला नगर निगम की सीमा में लेने सम्बन्धी नोटिफिकेशन जारी कर दी गई ताकि अम्बाला नगर निगम की आबादी न्यूनतम 3 लाख बनी रहे. इस प्रकार जुलाई, 2019 में एक प्रकार से अम्बाला नगर निगम का पुनर्गठन हुआ.
इसके बाद 27 दिसंबर, 2020 को पुनर्गठित अम्बाला नगर निगम के आम चुनाव करवाए गए एवं 20 वार्डो से निर्वाचित नगर निगम सदस्यों (पार्षदों) के साथ साथ पहली बार अम्बाला नगर निगम के मेयर का प्रत्यक्ष चुनाव अर्थात स्थानीय मतदातातो द्वारा सीधा निर्वाचन किया गया जिसमें हजपा (वी ) की प्रत्याशी शक्ति रानी शर्मा निर्वाचित हुई. हालांकि आज 14 महीने बीत जाने के बाद भी मौजूदा नगर निगम के सीनियर डिप्टी और डिप्टी मेयर का निर्वाचन नहीं करवाया गया है।