चण्डीगढ़, 17 अगस्त (शिव नारायण जांगड़ा)- सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एम.एस.एम.ईज़) के लिए कारोबार को आसान बनाने को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में मंत्रीमंडल ने सोमवार को राज्य में उद्योग की स्थापना करने के लिए अपेक्षित अनापत्ति प्रमाण पत्र (एन.ओ.सी.) की सूची को मंज़ूरी दे दी है।
इस कदम से ऐन.ओ.सीज़ संबंधी कारोबार को आसान बनाने में सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाने वाला पंजाब पहला राज्य बन गया है और यह एम.एस.एम.ईज़ को प्रफुल्लित करने और राज्य में खुशहाली लाने में सहायक होगा।
मुख्यमंत्री ने बीते दिन स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपनी तकरीर में भी राज्य में एम.एस.एम.ईज़ को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार के फ़ैसले का ऐलान किया था और इस संदर्भ में आज इस सूची को मंज़ूरी दी गई है। यह सूची ‘ग्लोबल अलायंस फॉर मास एंटरप्रेन्योरशिप’ नाम की संस्था जिसकी सेवाएं पंजाब सरकार द्वारा ली गई थीं, की सिफारशों पर अधारित है जिससे पंजाब को प्रगतिशील औद्योगिक केंद्र के तौर पर स्थापित किया जा सके।
जि़क्रयोग्य है कि कारोबार को आसान बनाने के लिए उद्योग एवं वाणिज्य विभाग पंजाब और ग्लोबल अलायंस फॉर मास एंटरप्रेन्योरशिप द्वारा नवम्बर, 2020 को एक समझौता सहीबद्ध किया गया था, जिसकी समय-सीमा दो सालों के लिए है जिससे नए औद्योगिक सुधार लाए जा सकें।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता के मुताबिक उद्यमियों के लिए स्वीकृत की गई विस्तृत सूची कारोबार आसान बनाने और कार्यशील करने के लिए जानकारी से सम्बन्धित सभी एन.ओ.सीज़ तक पहुँच करने के लिए उद्यमियों के लिए बेशक अहम साधन साबित होगी। भविष्य में एन.ओ.सीज़ की स्वीकृत सूची में विस्तार सम्बन्धी विभाग मंत्रीमंडल की मंज़री के उपरांत कर सकेगा।
‘ग्लोबल अलायंस फॉर मास एंटरप्रेन्योरशिप’ द्वारा पहचान किए गए क्षेत्रों से एक निवेशकों द्वारा कारोबार स्थापित करने से पहले और बाद में विभिन्न विभागों से ज़रूरी एन.ओ.सीज़ के सरलीकरण किया जाना था। हालाँकि, ऐसी एन.ओ.सीज़ और जानकारी से सम्बन्धित एन.ओ.सी. जैसे कि एन.ओ.सी. का उद्देश्य, सम्बन्धित दस्तावेज़ों की सूची और एन.ओ.सी. फॉर्म की पूरी और अंतिम सूची इस समय में आसानी से उपलब्ध नहीं है। मौजूदा समय में ज्यादातर एन.ओ.सीज़ को मैनुअल तौर पर जारी किया जाता है।
मंत्रीमंडल ने एन.ओ.सीज़ हासिल करने के लिए स्पष्ट प्रक्रिया की कमी और जानकारी की कमी होने के कारण पंजाब में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए उद्यमियों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। यह भी महसूस किया गया है कि एन.ओ.सीज़ की विस्तृत सूची की ज़रूरत है, जिससे उद्यमियों पर बोझ को घटाया जा सके और पंजाब व्यापार का अधिकार एक्ट-2020 और पंजाब लाल फीताशाही एक्ट-2017 को पूरी तरह से अमल में लाया जा सके।
अल्कोहल उत्पादों के निर्माण वाली ईकाइयों के लिए नीति में संशोधन को मंज़ूरी जैव-ईंधन की मैनुफ़ेक्चरिंग के लिए राज्य में कृषि अवशेष के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए मंत्रीमंडल ने औद्योगिक और कारोबार विकास नीति-2017 में संशोधन को मंज़ूरी दे दी है, जिससे अल्कोहल उत्पादों का निर्माण करने वाली अकेली इकाईयों को छूट दी जा सके।
बताने योग्य है कि भारत सरकार ने ईथनौल बलैंडड पेट्रोल (ई.बी.पी.) प्रोग्राम के अंतर्गत नेशनल पॉलिसी ऑफ बायोफ्यूल्ज़, 2018 को अधिसूचित किया था, जिसके अधीन 2025 तक पेट्रोल में ईथनोल की 20 प्रतिशत मिलावट का लक्ष्य रखा गया था। प्रोग्राम का उद्देश्य कई परिणाम प्राप्त करना है जैसे कि वातावरण की चिंताओं का हल करना, आयात पर निर्भरता कम करना और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना।
भारत सरकार के ईथानोल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) प्रोग्राम के लिए ईथानोल के उत्पादन और आपूर्ति को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने अल्कोहल के उत्पाद जैसे कि ईथनौल, तैयार करने वाली अकेली ईकाइयों, जोकि एनआईसी कोड 2008 के डिवीजऩ ने 11- ‘‘मैनूफैक्चर ऑफ बीवरेज में नहीं आते, को ‘औद्योगिक और व्यापार विकास नीति, 2017’ के अधीन नेगेटिव लिस्ट ऑफ इंडस्ट्री से छूट दी है। यह छूट केवल उन बायो ईथनल यूनिट के लिए उपलब्ध होंगी, जोकि पराली आधारित बॉयलर का प्रयोग करेंगे। ईथाइल अल्कोहल आम तौर पर मक्कई और चावल के दानों से तैयार की जाती है और सरकार ईथनॉल के निर्माण के लिए डिस्टिलरियों द्वारा टूटे/खऱाब हुए अनाज के प्रयोग को भी प्रोत्साहित कर रही है। इसलिए राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति के अनुसार पेट्रोल में मिलाने के लिए इथैनॉल की ज़रूरत से मक्कई की फ़सल के लिए कृषि विभिन्नता को भी बढ़ावा मिल सकता है।
औद्योगिक कामगारों के लिए एस.आई.एच.एस. के अधीन बनाए गए मकानों की बिक्री को हरी झंडी मंत्रीमंडल ने पंजाब औद्योगिक हाउसिंग एक्ट, 1956 के अधीन औद्योगिक श्रमिकों के लिए सब्सिडी आधारित औद्योगिक आवास योजना (एस.आई.एच.एस.) के अधीन बनाए गए मकानों को बेचने के लिए श्रम विभाग के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। पंजाब औद्योगिक हाउसिंग एक्ट, 1956 के अधीन औद्योगिक कामगारों के लिए सब्सिडी वाली औद्योगिक आवास योजना के अधीन बनाए गए मकानों की बिक्री के मामले में सरकारी खजाने पर कोई वित्तीय बोझ नहीं डाला जाएगा। इस सम्बन्धी सरकार के खजाने में राजस्व जमा होगा और गरीब मज़दूरों को मकान मिलेंगे।