अम्बाला छावनी के स्वागत द्वार पर 2.54 करोड़ कैसे लगे जांच का विषय।
अम्बाला स्वागतद्वार पर खर्च करोड़ो रुपयों की भी जांच हो।
अम्बाला छावनी व अम्बाला शहर में जनधन को विकास कार्यो की बजाए फिजूल कार्यो पर खर्च करने वाले नीति निर्धारकों की योजना की निंदा करते हुए एडवोकेट दमनप्रीत सिंह ने कहाकि बहुत ही अफसोस कि बात है कि विकास व आत्मनिर्भरता का राग अलापने वाले बीजेपी के नेता विशेषतौर पर युवाओं को रोजगार,शिक्षा व बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की बजाए चंद चौकों पर स्वागतद्वार बनाकर, चौकों पर मूर्तियां बना कर या फवाररे लगाकर विकास का दम भरते हैं जबकि जनता का पेट इन चोंचलेबाजी से भरने वाला नही है। अम्बाला नगरनिगम से प्राप्त सूचना अनुसार जहां एक तरफ अम्बाला शहर के विभिन्न चौकों के सौन्दर्यकरण के नाम पर करोड़ो रूपये खर्च कर दिए गए हैं वहीं अम्बाला शहर में सड़कों,नालियों जैसे विकास कार्यो का पिछले छह वर्षो का अलग अलग ब्यौरा भी उपलब्ध नही है जबकि अमृत स्कीम के तहत अबतक शहर में 12.47 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। यही स्तिथि अम्बाला छावनी की भी है यहां भी ऐतिहासिक फुटबॉल चौक पर फुटबॉल तोड़कर लगभग एक करोड़ का फवारा लगाया गया है और अन्य कई चौकों पर करोड़ो खर्च कर दिए गए हैं। अम्बाला छावनी के स्वागत द्वार पर 2.54 करोड़ लग गए यह अचंभे वाली बात ही है, इतने पैसे कैसे लगे जांच का विषय है। ऐसे ही अम्बला स्वागत द्वार जग्गी सिटी सेंटर पर कई करोड़ लगा दिए गए। क्या इन सब से रोजगार मिलेगा यह विचारणीय तथ्य है। ऐसे में स्थानीय विधायक व शक्तिशाली मंत्री से यह प्रश्न तो बनता है कि क्या इन खर्चो से हल्के का विकास हो गया, क्या इससे रोजगार पैदा हो गया, क्या इनसे जनता का पेट भर जाएगा ? स्वभाविक है कि चौक बनाने, मूर्तियां निर्माण करने व लिपिस्टिक बिंदी लगाने से व्यवस्था सुधरने वाली नही है। व्यवस्था सुधारने के लिए ऐसे आधारभूत सरचनात्मक कार्य करने होंगे जिनसे रोजगार पैदा हो, शिक्षा व स्वस्थ की सुविधाएं बढ़े। सिर्फ चौक व मूर्तियां बनाने से या लिपिस्टिक बिंदी लगाने से जनता का कुछ समय के लिए दिल जरूर बहलाया जा सकता है, उसका पेट नही भरा जा सकता। जितने धन से यह चौक, चौराहे, फव्वारे व मूर्तियां बनाई गई उतने धन से एक अच्छी खासी इंडस्ट्री लगाई जा सकती थी जिससे जिले के 500-1000 युवाओ को रोजगार मिल जाता। यह बात जितनी जल्दी इन नेताओं के समझ आ जाए उतना ही अच्छा है अन्यथा आने वाले आम चुनाव में जनता हिसाब पूरा करेगी।