वाशिंगटन,१० अगस्त (प्रेस की ताकत बयूरो): कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट (Coronavirus Delta Variant) की वजह से बच्चों में संक्रमण के मामलों में बड़ा उछाल देखा जा रहा है है।
संक्रमित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, इसका कारण डेल्टा वैरिएंट है। डेल्टा वैरिएंट सभी स्ट्रेन में सबसे ज्यादा संक्रामक है।
अमेरिका में कोरोना वायरस तेजी से बच्चों को चपेट में ले रहा है. इस कारण अमेरिका के अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 से संक्रमित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
कम टीकाकरण (Corona Vaccination) दर से जूझ रहे अमेरिका के कई हिस्सों में यह प्रवृत्ति विशेष रूप से सामने आई है। कम वैक्सीनेशन वाले क्षेत्रों में कोविड-19 से संक्रमित बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में तेजी देखी जा रही है।
हकीकत यह है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए अभी तक वैक्सीन नहीं है, 12 साल या उससे ज्यादा उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है, लेकिन कई को अभी तक टीका नहीं लगाया गया है।
अमेरिका में फाइजर की कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine for Children) को मंजूरी दी गई है, हालांकि यह 12 से 17 साल के बच्चों को लगाई जा रही है. फाइजर ने मार्च महीने में आंकड़ों को जारी कर बताया था कि 12 से 15 साल के 2,260 वॉलेंटियर्स को ये वैक्सीन दी गई, जिसके बाद किसी भी बच्चे में कोरोना का कोई मामला सामने नहीं आया। उन्होंने इस बात का दावा किया था कि उनका वैक्सीन बच्चों पर पूरे 100 प्रतिशत असरदार है। फ्लोरिडा के
फ्लोरिडा ने लगातार आठ दिनों तक बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने का रिकॉर्ड बनाया। टेक्सास और फ्लोरिडा में अधिकांश छात्र इस महीने स्कूल में वापस आने वाले हैं। इस बीच कुछ स्कूल इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या बच्चों के लिए मास्क की आवश्यकता है?
भारत में भी कोरोना के काफी मामले सामने आ रहे है। हिमाचल में ३९ कोरोना केसों की पुष्टि की गयी है। पंजाब में स्कूल खुलने की वजह भी चिंता का विषय बना हुआ है। पंजाब सरकार ने सख्त ऐलान किया है कि स्कूल में सोशल डिस्टैन्सिंग का खास ध्यान रखा जाये।