छिंदवाड़ा(भगवानदीन साहू)- जिले के सामाजिक कार्यकर्ता भगवानदीन साहू ने अन्य धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर जिला कलेक्टर के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , एवं लोकसभा अध्यक्ष के नाम ज्ञापन सौंपकर देश में राष्ट्रपति प्रणाली की मांग की। ज्ञापन में बताया कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र हमारे देश में हैं , पर देश के प्रमुख स्तम्भ कार्यपालिका , न्यायपालिका , व्यवस्थापिका के जमीनी हालात ठीक नहीं है । जिले में गत तीन माह में लोकायुक्त पुलिस ने सात भ्रष्ट अधिकारियों को रिश्वत लेते दबोचा , जिसमें कुछ जिला कलेक्टर कार्यालय के हैं । प्रदेश में इनकी संख्या सैकड़ों में हैं , वहीं देश में इनकी संख्या लाखों में है । इन प्रकरणों में एक पेच है , ” अभियोजन स्वीकृति कानूनी भाषा में किसी सरकारी अधिकारी पर न्यायालय में प्रकरण चलाने हेतु सरकार की अनुमति लेना पड़ता है और सरकारी अनुमति मिलना टेढ़ी खीर है। राजस्थान , दिल्ली , छत्तीसगढ़ में ऐसे हजारों भ्रष्ट अधिकारी रिश्वत लेते पकड़ाये परंतु वहाँ की सरकारों ने किसी भी प्रकरण में अभियोजन स्वीकृति नहीं दी । न्यायपालिका – देश की न्यायपालिका में लगभग 4 करोड़ प्रकरण विचाराधीन हैं , उनको हल करने के लिए लगभग तीन सौ वर्ष चाहिए। गरीब , पीड़ित , लाचार , शोषित को कई वर्ष तक न्यायपालिका के चक्कर लगाने के बाद भी न्याय मिलना कठिन हैं । वहीं राजनैतिक पहुंच वाला या पैसे वाला व्यक्ति के लिए न्याय बहुत सुगम है , जहाँगीरपुरी स्टे कांड इसका उदाहरण है। फर्जी किसान आन्दोलन द्वारा लाल किले पर खालिस्तान का झंडा लहराना , पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक , पश्चिम बंगाल में अनगिनत हिन्दूओं की हत्या , साधुसंत पर अत्याचार पर न्याय व्यवस्था चूप्पी साध लेती है । वहीं , आंतकवादियों के लिए रात में भी कोर्ट खुल जाती हैं । देशद्रोही एवं टुकड़े – टुकड़े गैंग के लिए न्यायपालिका वरदान है । व्यवस्थापिका :- इस देश की सबसे अधिक दुर्दशा किसी ने की है तो माननीयों ने या राजनैतिक नेताओं ने। कोई नेता पार्षद से विधायक , विधायक से मंत्री या सांसद , सांसद से मंत्री या अन्य राजनैतिक पद मिलता है , तो वह इन सभी पदों की पेंशन और सुख सुविधाएं लेने में कोई कमी नहीं करता है । देश में ऐसे कई राज्य ऐसे हैं जिसमें पंजाब , पश्चिम बंगाल , दिल्ली तमिलनाडु , तेलंगाना , महाराष्ट्र यहाँ आराजकता का माहौल है। यहाँ के नेताओं ने सत्ता के लालच में आम लोगों को मुफ्त की सुविधाओं का लालच देकर राज्य को बर्बाद कर दिया । इन राज्यों पर श्रीलंका से अधिक कर्ज है। ये राज्य तुष्टीकरण की राजनीति में अवल्ल हैं । लोकतंत्र में संविधान का सबसे ज्यादा दुरूपयोग उन्हीं राज्यों में है। क्योंकि राज्य की अपनी संवैधानिक व्यवस्था है। यहाँ केन्द्र सरकार का नियम और कानून बंधनकारी नहीं है । इन्हीं गलत नितियों के कारण सीमा से लगे राज्य पश्चिम बंगाल और पंजाब हाथ से निकलता नजर आ रहा है , ऐसी अनगिनत समस्याओं से ग्रसित हम विकसित राष्ट्र की कल्पना कैसे कर सकते हैं । इस देश में एक कानून व्यवस्था हो , अमेरिका , चीन , रूस जैसे कई विकसित देशों में राष्ट्रपति प्रणाली है। इस देश को सुपर पॉवर बनाना है तो राष्ट्रपति प्रणाली की आवश्यकता है। वहीं मोदी सरकार संविधान में मामूली सा संशोधन कर देश को विकसित राष्ट्र बनाने हेतु राष्ट्रपति व्यवस्था की शुरूआत करें। ज्ञापन देते समय आधुनिक चिंतक हरशुल रघुवंशी , शिक्षाविद विशाल चवुत्रे , कुनबी समाज के युवा नेता अंकित ठाकरे , राष्ट्रीय बजरंग दल के नितेश साहू , पवार समाज के प्रमुख हेमराज पवार , कलार समाज के सुजीत सूर्यवंशी , युवा सेवा संघ के नितिन दोईफोड़े , ओमप्रकाश डहेरिया , आई. टी. सेल के प्रभारी भूपेश पहाड़े ,साहू समाज के ओमप्रकाश साहू मुख्य रूप से उपस्थित थे।