लखनऊ (विशाल वर्मा)-आज 15 सितम्बर के दिन को पूरे देश में ‘इंजीनियरिंग डे (अभियन्ता दिवस)’ के रूप में मनाया जाता है। लेकिन इस तारीख एवं इसके पीछे की जानकारी के प्रति विशेष व्यापक जागरूकता नहीं देखी जाती है। नाम के अनुसार इंजीनियरिंग एवं तकनीकी विधा से जुड़ी संस्थाओं में इसके प्रति जागरूकता देखी जाती है। दरअसल इसके पीछे तथ्य यह है कि देश के पहले सिविल इंजीनियर डा0 मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैया की जन्म तिथि 15 सितम्बर को इंजीनियरिंग डे के रूप में मनाया जाता है। डा0 मोक्षगुण्डम का जन्म 15 सितम्बर, 1860 को आन्ध्रप्रदेश (तत्कालीन मद्रास) के मुड्डनहल्ली ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम मोक्षगुण्डम श्रीनिवास शास्त्री एवं माता का नाम वेंकटलक्ष्मम्मा था। वे ब्राह्मण परिवार के थे। वे एक प्रखर वक्ता व मैसूर राज्य के 19वें दीवान भी रहे। डा0 मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैया के जल विद्युत परियोजनाओं, बाँधों एवं जलाशयों के क्षेत्र में असाधारण योगदान के कारण सन् 1955 में भारत सरकार द्वारा उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। वर्ष 1968 में भारत सरकार द्वारा 15 सितम्बर, डा0 विश्वेश्वरैया की जन्म तिथि को इंजीरियरिंग डे के रूप में मनाये जाने की घोषण की गई। इस दिन देश भर में इंजीनियरिंग एवं तकनीकी शिक्षा संस्थाओं में विभिन्न्ा कार्यक्रमों का आयोजन एवं उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कृत, विभिन्न वाद-विवाद, लेखन आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। डा0 मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैया को एक अच्छा उपदेशक भी माना जाता है, उनके प्रमुख कथनों में से कुछ इस प्रकार हैंः
“Every citizen should have a high sense of duty.”
“It is better to workout than to rustout.”