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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक पैकेज का ऐलान करते हुए पांच दिनों में की ये बड़ी घोषणाएं

Subash Bharti by Subash Bharti
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक पैकेज का ऐलान करते हुए पांच दिनों में की ये बड़ी घोषणाएं
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नई दिल्ली, (अनिल भारती):
सप्लाई चेन को दुरुस्त करने के लिए मोदी सरकार ने 20 लाख 97 हजार 53 करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार पांच दिनों तक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार द्वारा उठाए गए सभी महत्वपूर्ण कदमों की विस्तार से जानकारी दी। सरकार ने समाज के आखिरी तबके पर खड़े लोगों तक मदद पहुंचाने का दावा किया है। अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार ने किसान, प्रवासी मजदूर, कॉर्पोरेट सेक्टर आदि के लिए हर जरूरी कदम उठाया है। आइए जानते हैं पांच बड़ी घोषणाओं के बारे में।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्थानीय कृषि उत्पादों के लिए बड़ा बाजार मुहैया कराने और किसानों की आय बढ़ाने का रोडमैप पेश किया। उनका जोर कृषि क्षेत्र में सुधार, उत्पादन, गुणवत्ता, भंडारण और आपूर्ति शृंखला को मजबूत करने पर रहा। किसानों के लिए भारतीय बाजारों का दायरा बढ़ाने के साथ वैश्विक बाजार तक उनकी पहुंच बनाने और उत्पादों की ब्रांडिंग का ढांचा भी तैयार किया। सरकार ने कृषि ढांचे में सुधार के लिए एक लाख करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है, जिसमें भंडारण और आपूर्ति की व्यवस्था को प्रमुखता से लिया गया है।
किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या अनाज की कटाई के बाद उसकी बिक्री और भंडारण को लेकर है। वित्त मंत्री ने कहा है कि इसके लिए पर्याप्त कानूनी ढांचा बनाएंगे जिससे कृषि उपज की गुणवत्ता सुधारने के साथ बेहतर मूल्य दिला सकें। इसके अलावा किसानों तक पारदर्शी ढंग से प्रसंस्करण, एग्रीगेटर्स, बड़े खुदरा विक्रेताओं की और निर्यातकों की पहुंच सुनिश्चित कराएंगे।
इस काम में एग्री स्टार्टअप से तकनीक और कंपनियां मददगार होंगी। इससे उन्हें आकर्षक मूल्य पर उपज बेचने का विकल्प मिलेगा। अभी तक किसानों को एपीएमसी से संबंधित केंद्रों पर ही उपज बेचने की अनुमति थी लेकिन अब वे सभी राज्यों में अपनी उपज बेच सकेंगे। इससे उनके पास बेहतर दाम पर राज्य चुनने का विकल्प होगा और ई-ट्रेडिंग के जरिये भी खरीदारों तक पहुंच बना सकेंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गरीबों के लिए एक देश एक राशन कार्ड की योजना लागू करने की बात की। एक देश एक राशन कार्ड योजना अगस्त 2020 तक लागू होगी। इससे देश के किसी भी हिस्से में डिपो से राशन ले सकते हैं। मार्च 2021 तक शत फीसदी राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी कर ली जाएगा।

एक देश-एक राशन कार्ड की खास बातें
* गरीब प्रवासी मजदूर इस योजना के तहत देश के किसी भी उचित मूल्य की दुकान से राशन प्राप्त कर सकते हैं।
* इसके लिए राशन कार्ड का आधार से लिंक होना आवश्यक है।
* प्रवासी सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी प्राप्त करने के योग्य होंगे।
* तीन रुपये प्रति किलोग्राम चावल तथा दो रुपये प्रति किलोग्राम गेंहू मिलेगा।
* यह स्कीम 77 फीसदी राशन की दुकानों पर लागू की जा सकती है।
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने एक देश-एक राशन कार्ड प्रणाली की ओर आगे बढऩे की घोषणा की। इस प्रणाली के आरंभ होने पर लाभार्थी देश में कहीं भी किसी भी राशन की दुकान से अपने कोटे का अनाज ले सकते हैं। प्रवासियों के लिये यह यह प्रणाली अत्यंत उपयोगी साबित होगी। इस योजना के लाभों को जानने के लिये मूल्य श्रृंखला में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कार्यकरण को समझना महत्त्वपूर्ण है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए अतिरिक्त 40 हजार करोड़ रुपए का आवंटन किया है। इससे अपने गांव वापस जा रहे प्रवासी मजदूरों को काम मिल सकेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि मनरेगा के लिए पहले ही बजट में 61,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। अब इस आवंटन को उससे ऊपर 40,000 करोड़ रुपये बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा, स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय में वृद्धि की जाएगी। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य संस्थानों में निवेश बढ़ाया जाएगा।
सीतारमण ने कहा कि मजदूरों को घर ले जाने के लिए प्रवासी श्रमिक ट्रेनें चलाई गई हैं। मजदूरों को ट्रेनों से ले जाने का 85 फीसदी खर्च केंद्र सरकार जबकि 15 फीसदी खर्च राज्य सरकारों ने वहन किया है। श्रमिकों को ट्रेनों में खाना भी उपलब्ध कराया गया। आठ करोड़ प्रवासी मजदूरों के लिए राशन की व्यवस्था की गई है।
वित्त मंत्री ने कहा कि अब कोल इंडिया लिमिटेड की खदानें निजी सेक्टर को भी दी जाएंगी। पैकेज की चौथी किस्त पेश करते हुए एलान किया कि अब कोयला क्षेत्र में कमर्शियल माइनिंग होगी और सरकार का एकाधिकार खत्म होगा। कोयला उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता कैसे बने और कैसे कम से कम आयात करना पड़े, इसपर काम होगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस फैसले से ज्यादा से ज्यादा खनन हो सकेगा और देश के उद्योगों को बल मिलेगा। 50 ऐसे नए ब्लॉक नीलामी के लिए उपलब्ध होंगे। पात्रता की बड़ी शर्तें नहीं रहेंगी। सरकार ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए फास्ट-ट्रैक इन्वेस्टमेंट प्लान बनाया है।

दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी
कोल इंडिया लिमिटेड नवंबर 1975 में अस्तित्व में आई थी। अपनी शुरुआत के साल में 79 मिलियन टन (एमटी) का मामूली उत्पादन करने वाली सीआईएल आज 83 खान क्षेत्रों में कार्य कर रही है और दुनिया में सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी होने के साथ सबसे बड़े कॉर्पोरेट नियोक्ताओं में से एक है। यह भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है, जो कोयला मंत्रालय, भारत सरकार के अधीनस्थ है। कोल इंडिया लिमिटेड कोयला खनन और उत्पादन का कार्य करती है। इसका मुख्यालय कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है। देश के आठ राज्यों में इसका कार्य होता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि क्षेत्र के लिए बड़े एलान किए। उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र में जो सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां (एमएफई) हैं, उनके लिए हम 10,000 करोड़ रुपये की योजना लेकर आए हैं।
ये क्लस्टर आधारित अप्रोच होगी और लगभग दो लाख इकाइयों को इससे लाभ मिलेगा। साथ ही इससे रोजगार के अवसर मिलेंगे और आय भी बढ़ेगी। इनकी मार्केटिंग ब्रांडिंग के साथ-साथ टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन भी होगी।

घरेलू कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने पर फोकस
सरकार ने घरेलू कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने पर फोकस किया है। घरेलू कृषि उत्पादों को ब्रांड बनाने के लिए सरकार फूड प्रोडक्ट्स के लिए क्लस्टर बनाएगी। ये क्लस्टर अलग-अलग राज्यों में बनाए जाएंगे, जहां का जो उत्पाद लोकप्रिय होगा।  उन्होंने कहा कि जिस तरह से बिहार में मखाना है, उत्तर प्रदेश में आम है, कर्नाटक में रागी है, तेलंगाना में हल्दी है, कश्मीर में केसर है, पूर्वोत्तर में बांस व हर्बल प्रोडक्ट है, लोकल से ग्लोबल नीति के तहत इन्हें बढ़ावा दिया जाएगा। इन राज्यों में क्लस्टर बनाने की सुविधा के लिए इस कोष का इस्तेमाल किया जाएगा। कोष के जरिए नए बाजारों को भारतीय उत्पादों का निर्यात किया जाएगा।
दुनिया की मौजूदा परिस्थिति भारत के लिए एक अवसर बन सकती है, ऐसे में पीएम मोदी ने कहा था कि हमें आत्मनिर्भर होने की जरूरत है। इसके मद्देनजर सरकार लगातार कदम उठा रही है। कल्स्टर को बढ़ावा देने से न सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि इससे रोजगार और आय में भी वृद्धि होगी। साथ ही निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।

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