अमृतसर, 22 अगस्त (प्रेस की ताकत बयूरो)- शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने बंदी सिंह की रिहाई को लेकर सरकारों पर सवाल उठाए हैं। धामी ने कहा कि अगर गुजरात अत्याचार के दौरान बिलकिस बानो बलात्कार मामले में सजा काट रहे दोषियों को रिहा करने का फैसला लिया जा सकता है तो उम्रकैद से दोगुनी सजा काट रहे सिखों को रिहा क्यों नहीं किया जा सकता। एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि सरकारें भेदभावपूर्ण नीति अपना रही हैं। एक तरफ समाज के नाम पर धब्बा कहे जाने वाले बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों को सरकारों द्वारा सहानुभूति से छोड़ दिया जाता है। दूसरी ओर सिख कैदी तीन से तीन दशकों से जेल की कोठरियों में सड़ रहे हैं। क्या ऐसा करके हमारे देश की सरकारें जानबूझकर अल्पसंख्यकों का दमन नहीं कर रही हैं? एडवोकेट धामी ने इस पक्षपात को भारतीय संविधान का उल्लंघन होने के साथ-साथ मानवाधिकारों की हत्या करार दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह का धक्का-मुक्की और पूर्वाग्रह सही नहीं है और सरकारों को इस मामले पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। एडवोकेट धामी ने भारत सरकार को सभी के लिए एकरूपता की नीति अपनाने की सलाह दी और बंदी सिंहों की तत्काल रिहाई के लिए कहा। इस बीच, एसजीपीसी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने बुरेल जेल में बंद भाई लखविंदर सिंह से भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सिख धर्म में भूख हड़ताल के लिए कोई जगह नहीं है, इसलिए उन्हें अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए। एडवोकेट धामी ने कहा कि एसजीपीसी बंदी सिंहों को न्याय दिलाने के लिए हमेशा प्रयासरत है और रहेगी।