सिंगापुर की तर्ज पर बनी निकलसन रोड की सड़क धंसी।
धूल-गर्दा खा कर बीमार हो रही जनता।
अम्बाला छावनी के निकलसन रोड को सिंगापुर की तर्ज पर विकसित करने वालो को आइना दिखाते हुए इनैलो प्रदेश प्रवक्ता ओंकार सिंह ने कहाकि यह कैसा विकास है और कैसे विकास कार्य, बातें तो मंगलग्रह तक कि कर देते हैं और विकास के नाम पर मची लूट में घटिया व निम्नस्तर की निर्माण सामग्री व अनियोजित और अव्यवस्थित निर्माण कार्यो के कारण बनने के मात्र कुछ दिनों के पश्चात ही निकलसन रोड की सड़क धंस गयी। ऐसा विकास देखकर तो प्रत्येक व्यक्ति के मुंह से अनायास ही निकल जाएगा कि कोई लोटा दे मुझे मेरे पुराना अम्बाला छावनी। नही चाहिए हमे ऐसा विकास जिसमे खर्च कम और भ्र्ष्टाचार ज्यादा हो। नगरपरिषद में इंजीनियरों की कमी नही है, एमई व एक्सईन भी है और तमाम तामझाम व सरकारी अमला तो है ही साथ ही चौकीदारों की फ़ौज भी है, फिर भी कार्यो में अनियमितता व कमियां क्यो निकलती है। कोन जिम्मेवार है इसका। सड़क धंसने से कोई दुर्घटना भी हो सकती थी लेकिन किसी को कुछ लेना देना नही। अधिकारी व नेता मस्त और जनता त्रस्त। निर्माण कार्यो की देखरेख की जिम्मेवारी किसकी है यह प्रश्न महत्वपूर्ण है। क्या कमीशन के खेल के कारण कोई निर्माण कार्यो की निगरानी ही नही करता ? निकलसन रोड को सिंगापुर की तर्ज पर विकसित करने का जुमला दिया गया था लेकिन यह प्रश्न तो पूछना बनता है कि क्या सिंगापुर में बिजली की तारे नंगी है। निकलसन रोड पर तो पुरानी बिजली की तारे बदल कर नई तारे भी खुली व नंगी ही डाली गई। नाम मात्र की केबल डाली गई। प्रश्न यह ही उठना स्वभाविक है कि यदि नंगी तारे ही डालनी थी तो पुरानी तारो ।के क्या कमी थी, बल्कि नई डाली गई तारे भवनों के बिल्कुल साथ लगाकर दाल दी गयी है जिससे दुर्घटना होने की संभावना ओर अधिक हो गयी है। आज अम्बाला छावनी की स्थिति दयनीय बनी हुई है, कोई भी सड़क सबूत व ठीक नही है। धूल गड्ढे का आलम यह हैं कि अच्छा खासा व्यक्ति एलर्जी का मरीज हो जाए। लेकिन सुनेगा कौन क्योकि अंधेर नगरी चोपट राजा । जनता जितनी दुखी, मायूस व त्रस्त अम्बाला छावनी की है उतनी किसी और स्थान की नही। प्रत्येक व्यक्ति यही कह रहा है कि ऐसे विकास से तो अच्छा है मेरा पुराना अम्बाला छावनी वापिस कर दो जिसमे प्रेम,प्यार और आपसी भाईचारा था, नफरत व बदले की भावना नही थी।