बालोतरा (चेतन शर्मा ): किसी भी शहर में नगरपरिषद/पालिका/निगम शहर मंें साफ सफाई, व्यवस्थित सड़कें, अतिक्रमण मुक्त मार्ग आदि व्यवस्थाएं सुचारू रखने के लिए होती है । परन्तु बाड़मेर जिले की बालोतरा नगरपरिषद तो मारवाड़ी की एक कहावत ‘‘बाड़ ही खेत को खाए तो खेत की रक्षा कौन करे‘‘ को चरितार्थ करती नजर आती है। जिस नगरपरिषद को सड़कों मार्गाें को दुरूस्त रखने का काम मिला है वही अगर सड़क के बीचों बीच खड्डे खोद खोद कर बिना मरम्मत किए छोड़ दे तो जनता उम्मीद किस से करे ? बालोतर के अलग अलग स्थानों पर मुख्य मार्गों पर यह नजारा आराम से देखा जा सकता है। जहां कहीं जाम हो चुके नाले को साफ करने तो कहीं किसी पाईप लाईन को दुरूस्त करवाने या अन्य कारणों से विभाग ने खड्डे तो खोद दिये पर एक समस्या ठीक कर दूसरी समस्या पैदा कर ज्यों की त्यों छोड़ दी। अब सड़क के बीचों बीच बने ये गढढे कभी जानलेवा भी साबित हो सकते है परन्तु नगरपरिषद के बड़े अधिकारीयों से लेकर उपखण्ड प्रशासन के सर्वे सर्वा उपखण्ड अधिकारी महोदय को ये बड़े खड्डे नजर नहीं आते या फिर देखना नहीं चाहते।
जनता कहना चाहती है उन आला अधिकारीयों से कि अधिकारीयों की लग्जरी गाड़ीयां भले इन खड्डों को फिर भी झेल जायेगी परन्तु दुपहिया वाहन पर घूमने वाले आम आदमी के वाहन की दशा इन खड्डों में गिर कर क्या हो सकती है कभी कल्पना कर देखें तो मेहरबानी होगी ।