बालोतरा: नगरपरिषद में पटटों में धांधली का खुला खेल देखा जा रहा है। रसूखदारों के पट्टे येन केन प्रकारेण बस जारी कर देने और आम जन का पटटा येन केन प्रकारेण रोक लेने के खुले खेल देखे जा सकते हैं। अधिकारी तो अधिकारी अब तो यहां बाबु भी अपने हस्ताक्षर तक से पटटे जारी कर देने लगे हैं। ऐसा ही एक मामले में नगरपिरषद कर्मचारी धीरज कुमावत द्वारा नगर उपनियोजक के स्थान पर हस्ताक्षर कर जारी किया गया पटटा दृष्टिगोचर हुआ है। सुत्रों के अनुसार इस पटटे को जारी करने में नियम उल्लंघन था जिस पर नगर उपनियोजक ने इस पर हस्ताक्षर कर देने से इंकार किया लेकिन कर्मचारी धीरज कुमावत ने गुप्त स्वार्थ या दबाव में इस पटटे को स्व हस्ताक्षर से ही जारी कर दिया।
ऐसे में तो अधिकारी के हस्ताक्षर की कोई मर्यादा ही नहीं रही, क्या कोई भी हस्ताक्षर कर पटटा जारी कर सकता है ? आपको बता दें कि कनिष्ठ लिपिक धीरज कुमावत पर पूर्व में भी विभाग में नियम उल्लंघन के आरोप लग चुके हैं और धीरज को एपीओ भी किया जा चुका है। परन्तु उसके बावजूद धीरज द्वारा विभाग के नियम को धता बताते हुए अपनी मनमानी से पद का दुरूपयोग करते हुए निजी लोगों को मनमाना लाभ देने से नहीं चूकते हैं।
इस मामले में धीरज का कहना है कि उन्होने जल्दबाजी में एटीपी के स्थान पर खुद हस्ताक्षर कर दिये और उन्हें इसका ज्ञान बाद में हुआ पर सवाल यह खड़ा होता है कि यदि यह गलती से हुआ तो ज्ञान होने के बाद पटटे को निरस्त करने की कार्यवाही क्यों नही हुई ? बात केवल कर्मचारी धीरज तक समाप्त नहीं होती इसके पश्चात्त आयुक्त महोदय के भी हस्ताक्षर होने होते हैं जो जांच पड़ताल के बाद किए जाने होते है ऐसे में जब एटीपी महोदय के हस्ताक्षर गलत पाए गए उसके बावजूद आयुक्त महोदय ने हस्ताक्षर क्यों कर दिए, क्या यह गडबडझाला उनकी शय में हुआ है या फिर कहीं उन्हीं के आदेश से हुआ यह देखने की बात है
नगरपरिषद में घोटालों की कहानी की छानबीन से घोटालों की श्रृंखला मिलने की संभावना साफ नजर आ रही है, इन घोटालों में कहां तक के लोगों ने हाथ धोये हैं यह जल्द ही साफ हो जायेगा। फिलहाल गलत हस्ताक्षर से जारी हुए इस पटटे और हस्ताक्षर करने वाले कर्मचारी पर क्या कार्यवाही होती है यह देखने की बात है।