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अमरिन्दर द्वारा कृषि मज़दूरों & भूमिहीन किसानों के लिए 520 करोड़ रुपए की कजऱ् राहत स्कीम

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अमरिन्दर द्वारा कृषि मज़दूरों & भूमिहीन किसानों के लिए 520 करोड़ रुपए की कजऱ् राहत स्कीम
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श्री आनन्दपुर साहिब, 20 अगस्त (प्रेस की ताकत ब्यूरो) : मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने तीन काले कृषि कानूनों के खि़लाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों को निरंतर समर्थन देने की घोषणा करते हुए शुक्रवार को 2.85 लाख कृषि मज़दूरों और भूमिहीन किसानों के लिए 520 करोड़ रुपए की कजऱ् राहत स्कीम की शुरुआत की और इसको पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की गरीब हितैषी सोच की ओर एक श्रद्धाँजलि बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं उम्मीद करता हूँ कि एक दिन ऐसा आऐगा जब भारत गरीबी से मुक्ति हासिल कर लेगा, जैसा कि राजीव गांधी का सपना था।’’ उन्होंने इस बेहद अहम स्कीम को अपने करीबी दोस्त के 77वें जन्मदिन पर राज्य को समर्पित किया। इस पक्ष की तरफ ध्यान देते हुए कि राजीव गांधी उनके करीबी मित्र थे, कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री हमेशा यह पूछा करते थे कि वह दिन कब आऐगा जब लोगों के पास रहने के लिए अपना घर होगा और भारत गरीबी से आज़ाद होगा। इसलिए उन्होंने यह ठीक समझा कि इस स्कीम को राजीव गांधी के जन्मदिन के अवसर पर शुरू किया जाए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कांग्रेस बीते 130 वर्षों से लोगों के लिए लड़ाई लड़ती आ रही है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उनकी सरकार ने कृषि मज़दूरों और भूमिहीन किसानों के 520 करोड़ रुपए के कजऱ्े 31 जुलाई, 2017 को उनके सहकारी कजऱ् पर बनती मूल राशि और 6 मार्च, 2019 तक उपरोक्त रकम पर सालाना 7 प्रतिशत आम ब्याज माफ करने का फ़ैसला किया है। यह ध्यान देने योग्य है कि राज्य सरकार ने इससे पहले 5.85 लाख छोटे और सीमांत किसानों के 4700 करोड़ रुपए के कजऱ्े (2 लाख रुपए प्रति तक के फ़सलीय कजऱ्) माफ कर दिए थे।
यह ऐलान करते हुए कि उनका दिल दिल्ली की सरहदों पर आंदोलन कर रहे किसानों के साथ है, मुख्यमंत्री ने यह साफ़ किया कि वह केंद्र सरकार, जोकि किसानों की नहीं सुन रही, द्वारा अपनाए गए रूख से सहमत नहीं हैं। उन्होंने सवाल किया, ‘‘हम 127 बार संविधान में संशोधन कर चुके हैं तो अब हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते? भारत सरकार कृषि कानूनों को इज्जत का सवाल बनाकर क्यों जि़द पर उतरी हुई है?’’ उन्होंने यह भी कहा कि उनकी तरफ से स्पष्ट रूप में प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को यह कानून रद्द करने के लिए विनती की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनको पंजाब के किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए कहा गया है। परन्तु उन्होंने यह भी बताया ‘‘मैंने कभी भी उनको नहीं रोका क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में आंदोलन करने का हरेक का प्रजातांत्रिक हक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह छोटे किसान अपने लिए नहीं बल्कि अपनी आने वाली नसल के लिए लड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि क्योंकि केंद्र सरकार को किसानों का दर्द नजऱ नहीं आ रहा। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि यह किसान ज़्यादातर वह हैं जिनके पास 2.5 एकड़ ज़मीन है। लम्बे समय पहले अपनी पोलैंड फेरी को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने देखा कि उस देश में ज़मीन की हदबंदी मौजूदा 40 एकड़ से बढ़ाकर 100 एकड़ कर दी गई थी, क्योंकि छोटी ज़मीनों वाले परिवार अपना गुज़ारा नहीं कर सकते। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए आप यह सोच सकते हो कि उन लोगों का क्या होगा जिनके पास 2.5 एकड़ ज़मीन है। वह अपने परिवारों का गुज़ारा कैसे चलाऐंगे यदि नए कानून उन पर थोप दिए गए।’’
इस बिंदू की तरफ ध्यान दिलाते हुए कि तकरीबन 400 किसानों की मौत हो चुकी है, उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य के ऐसे किसानों के परिवार को 5 लाख रुपए की मदद दे रही है जो रोजग़ार गंवा चुके है। इसके अलावा उनको नौकरियाँ दी जा रही हैं और 200 को तो नियुक्ति पत्र भी मिल चुके हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को न्युनतम समर्थन मूल्य और बाज़ार प्रणाली और देश हित में किसानों और आढ़तियों के सदियों पुराने संबंधों की रक्षा करनी चाहिए।
स्कीम की सांकेतिक शुरुआत मुख्यमंत्री ने 21 कृषि मज़दूरों और भूमिहीन किसानों को निजी तौर पर चैक बाँटे। मंत्रियों और विधायकों द्वारा आने वाले कुछ दिनों के दौरान शेष प्रत्येक को चैक बाँटे जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने याद करते हुए कहा कि जब मार्च, 2017 में उनकी सरकार ने सत्ता संभाली थी तब किसानों द्वारा आत्म हत्याएँ आम थीं। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि उनकी सरकार ने गरीब किसानों की पहचान करने की कार्यवाही आरंभ की और यह पाया कि 15.7 लाख भूमिहीन किसान और कृषि मज़दूर राज्य के 32.7 लाख ग्रामीण घरों (2011 की जनगणना के मुताबिक) का 48 प्रतिशत हिस्सा हैं। उन्होंने आगे बताया कि और 9.8 लाख कृषि से जुड़े ग्रामीण परिवार हैं (30 प्रतिशत) और इन दोनों को मिलाकर कृषि करने वाले लोगों की संख्या ग्रामीण घरों के 78 प्रतिशत के बराबर पहुँचती है। उन्होंने ऐसे लोगों को कोविड महामारी, जिसने अब तक 16,000 पंजाबियों की जान ली है, के बावजूद भरपूर फ़सल पैदा कर राज्य की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान पाने के लिए सराहना की।
किसान भाईचारे के कल्याण के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की किसानी आज दौराहे पर खड़ी है क्योंकि ग्रामीण कजऱ् और किसानों की आत्महत्याओं में वृद्धि होती जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उचित फ़सल बीमा ना हाने के कारण इस्तेमाल किए जाने वाले सामान की उच्च कीमत और केंद्र सरकार द्वारा स्वामीनाथन कमेटी की सिफारशों को हू-ब-हू लागू करने में नाकाम रहने के कारण किसानों की मुश्किलों में वृद्धि हो रही है, जोकि मौसम की मार भी बर्दाश्त कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि किसानों को मुफ़्त बिजली, जोकि उनके रहते जारी रहेगी, की सुविधा के अलावा उनकी सरकार ने बीते नौ सीजऩों के दौरान खरीद प्रक्रिया को कामयाबी से संपूर्ण करते हुए समय पर अदायगी की हैं और इसके अलावा लाल लकीर के अंदर ज़मीन के रिकॉर्ड रखने के लिए मिशन लाल लकीर की शुरुआत की है, जिससे कजऱ् तक पहुँच को आसान बनाया जा सके। इसके अलावा उन्होंने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कानूनी सेवाएं एक्ट में संशोधन करने की भी माँग की है, जिससे राजस्व, नागरिक या आपराधिक मामलों में किसानों को मुफ़्त कानूनी सहायता उपलब्ध हो सके।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अन्य कजऱ् राहत स्कीमों का जि़क्र करते हुए कहा कि एकमुशत निपटारा स्कीम-2017 सहकारी बैंकों के कर्जदारों के लिए शुरू की गई थी, जिससे 128 करोड़ रुपए के कजऱ्दार 5941 व्यक्तियों को लाभ पहुँचा है। इसके अलावा नया कजऱ् निपटारा-2020 के अंतर्गत कुल 78.04 करोड़ रुपए के कजऱ्दार 3369 व्यक्तियों को अब तक राहत दी गई है और यह 31 जनवरी, 2022 तक जारी रहेगी।
स्पीकर राणा के.पी. सिंह द्वारा कोविड महामारी के दौरान छोटे व्यापारियों और शहरी दुकानदारों की हालत पर अभिव्यक्त की गई चिंता के जवाब में मुख्यमंत्री ने भरोसा दिया कि इन लोगों के कल्याण के लिए भी कदम उठाए जाएंगे और लॉकडाउन नहीं लागू किया जाएगा। उन्होंने यह उम्मीद ज़ाहिर की कि राज्य में कोविड की तीसरी लहर के आने की उम्मीद नहीं है। स्पीकर ने इस मौके पर मुख्यमंत्री द्वारा कोविड के खि़लाफ़ शुरु की गई निर्णायक जंग के लिए उनकी सराहना की और राज्य में गैंगस्टरों और नशे के व्यापार की कमर तोडऩे के अलावा कृषि कजऱ्ों की माफी और उनकी फसलों की समय पर अदायगी करने में मुख्यमंत्री द्वारा निभाई गई भूमिका की भी तारीफ़ की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने श्री आनन्दपुर साहिब के यूथ क्लबों के लिए एक करोड़ रुपए की रकम का ऐलान भी किया।
इससे पहले विधायक राज कुमार वेरका ने कृषि मज़दूरों और भूमिहीन किसानों के कजऱ् राहत को राजीव गांधी की सोच पूरी करने की ओर एक ऐतिहासिक कदम बताया। कैप्टन अमरिन्दर सिंह को विकास पुरूष और राज्य के हकों का रक्षक कहते हुए राज कुमार वेरका ने यह कहा कि आज शुरू की गई स्कीम तो ‘खुशहाल पंजाब’ की ओर सिफऱ् पहला कदम है।
सांसद मनीष तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि पाकिस्तान और आई.एस.आई. के बढ़ते दखल और केंद्र सरकार के सौतेले व्यवहार के बावजूद कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने राज्य को अच्छी तरह चलाया है और कोविड संकट का सामना करने में सराहनीय नेतृत्व किया है। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी प्रशासन सिफऱ् भाषणों और झूठे वादों से नहीं बल्कि अनुभव से चलता है, जोकि कैप्टन अमरिन्दर सिंह के पास है।
इस अवसर पर अन्य वक्ताओं में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वर्किंग प्रधान सुखविन्दर सिंह डैनी और विधायक राज कुमार चब्बेवाल और सुशील कुमार रिंकू भी शामिल थे।
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