134-A हटाना बाबा भीमराव अंबेडकर जी के सिद्धांतों की अपेक्षा
अम्बाला छावनी- एनुअल चार्जर्स फीस जमा ना होने पर स्कूलों द्वारा बच्चों के रिपोर्ट कार्ड रोकने और हरियाणा सरकार द्वारा प्राईवेट स्कूलों में नियम 134-ए को खत्म करने पर हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट की नेत्री चित्रा सरवारा ने आरोप लगाया कि सरकार की नीति और नीयत समान्य और गरीब वर्ग के हक्क में नहीं है I
अम्बाला छावनी में भी पिछले 2 दिनों से अनेको प्राइवेट स्कूलों के बाहर इस तपती गर्मी में बच्चो के अभिवावक अपने बच्चो के रिपोर्ट कार्ड और कहीं ट्रान्सफर सर्टिफिकेट पाने के लिए सड़कों पर लेटे हैं ,और अपने रोजगार की परवाह किये बिना धरना प्रदर्शन कर रहे है। परंतु सरकार उनकी ओर संवेदनहीनता दर्शाते हुए खामोश है और कहीं तो पुलिस बल का प्रयोग भी कर रही है। अभिभावक कभी जिला शिक्षा अधिकारी के दरवाजे और कभी स्कूल के दरवाजे जा रहे हैं पर राहत जहां से आनी है, वो मूकदर्शक बने बैठे हैं I
सरकार ने शिक्षा विभाग के माध्यम से अनेकों नोटिफिकेशन तो निकले हैं।लेकिन उनके शब्दों में कोई साफ़ रास्ता नहीं दिखता I उसी काग़ज़ को लिये स्कूल अपने पक्ष पर अडिग हैं और अभिभावक उसी काग़ज़ से इंसाफ और मदद की उम्मीद लगाए हुए हैं I
कोरोना काल में फीस माफ़ होनी थी या नहीं, ऐनुअल चार्जस लगने हैं कि नहीं, क्या चार्ज होगा, 10% बढ़ोतरी किस आंकड़े में होगी उसमें कोई स्पष्टता क्यूँ नहीं? क्यूँ माँ बाप को बच्चों को ऑनलाइन क्लास में बिठाने की लड़ाई लड़नी पड़ती है? फिर उनके एग्जाम में बिठाने की लड़ाई, फिर उनके सर्टिफिकेट, मार्क्स, ट्रांसफ़र सर्टिफिकेट की लड़ाई क्यूँ करनी पड़ रही है?
सरकार का काम मात्र नियम बनाना नहीं,उन्हें लागू करना है और उलंघन होने पर पर इन्साफ दिलवाने का दायित्व भी सरकार का है जिससे आज हरियाणा सरकार भाग रही है I नियम लागू करने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री जनता के पक्ष में मैदान में उतरें और निवारण करें I
बाबा भीमराव अंबेडकर जी कहा करते थे शिक्षा शेरनी का वह दूध है जो जितना पियेगा उतना दहाड़ेंगे। आज सरकार ने 134-A हटा कर बाबा भीमराव अंबेडकर जी के बनाये सिद्धान्त को भी लगता है त्याग दिया है । 134 – A निजी स्कूलों की वज़ह से नहीं, सरकार की वजह से हटी है I स्कूलों को उनका करोड़ो रुपया बतौर फीस सरकार से मिलना था जो नहीं मिला I इस देश में एक गरीब आदमी के बच्चे को भी उत्कृष्ट शिक्षा पाने का एक अनूठा अवसर था ये स्कीम जहां समाज के गरीब वर्ग के बच्चों का प्राईवेट स्कूलों में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था ।ताकि समाज के गरीब बच्चों के सपने भी पूरे हो सकें। इन गरीब बच्चों की शिक्षा का खर्चा सरकार द्वारा वहन किया जाता था। बकाया भुगतान करने की जगह सरकार ने स्कीम ही मिटा दी I ना रहेगा बांस, ना बजेगी बांसुरी ? हरियाणा सरकार द्वारा गरीबों के बच्चों के अच्छे स्कूल में पढ़ने के मौके को एक षड्यंत्र के तहत खत्म किया गया है।
चित्रा ने अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में जीना,खाना,कमाना तो मुश्किल और महँगा हुआ ही, अब महंगी शिक्षा ने बच्चों के भविष्य का गला भी घोटना शुरू कर दिया है I
चित्रा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व शिक्षा मंत्री से अपील की है कि वह नीजि स्कूलों और अभिभावकों के बीच ये अराजकता हटाएं I कोरोना काल के दौरान और उसके बाद लोगों की अर्थिक स्थिति को देखते हुए रियायत और माफ़ी का प्रावधान स्पष्ट करे I स्कूलों को मनमानी फीस बढ़ाने से रोके I चित्रा ने कहा कि हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट समाज के सामान्य और गरीब परिवारों के बच्चों के अधिकारो की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस फैसले का डटकर विरोध करता है I