छिंदवाड़ा(भगवानदीन साहू)-शहर के सामाजिक कार्यकर्ता भगवानदीन साहू के नेतृत्व में अन्य सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों ने 18 अक्टूबर 2021 को महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर शिक्षा में समानता के अधिकार का विधिवत पालन करवाये जाने की मांग की थी। ज्ञापन में बताया था कि राजस्थान सरकार के अल्पसंख्यक विभाग ने वहाँ के अखबारों में एक विज्ञापन जारी किया है जिसमें वहाँ कार्यरत मदरसों से आवेदन बुलाये हैं। इन मदरसों को 10 लाख रुपए से लेकर 25 लाख रुपए अनुदान देना है । राजस्थान में लगभग 3232 मदरसे हैं। इन सब की राशि का गुणा भाग करे तो लगभग 6 अरब रुपये होतें हैं। यह पैसा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार सरकारी खजाने से देगी ना कि पार्टी फंड से । सरकारी खजाने पर पूरे राज्य के लगभग 8 करोड़ लोगों का अधिकार है। यह आम जनमानस के खून-पसीने की कमाई है , जिस पर सब का हक है । श्री साहू ने माननीय सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राजस्थान सरकार तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है । ये राज्य के अन्य समाज के विद्यार्थियों के साथ अन्याय है ।पूरी दुनिया जानती है कि इन मदरसों में क्या शिक्षा दी जाती है। यहाँ अन्य धर्म के लोगों को काफिर समझा जाता है। और उनके यहाँ काफिरों के कत्ल करने का आदेश है। मतलब हम अपनी कब्र स्वयं खोद रहें हैं। मदरसों को इस प्रकार राशि देना पूरे देश में वैमनष्यता बढ़ाना है । माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों को देखते हुए याचिका दर्ज कर ली है , जिसका क्रमांक 98630।sci/ pil/2021 है । सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को msg भेज कर सूचित किया। सुप्रीम कोर्ट की इस पहल से राजस्थान सरकार के इस आदेश पर रोक लगने की पूर्ण सम्भावना है। ज्ञापन देते समय शिक्षाविद विशाल चवुत्रे, आधुनिक चिंतक हरशुल रघुवंशी, कुनबी समाज के युवा नेता अंकित ठाकरे, राष्ट्रीय बजरंग दल के नितेश साहू, कलार समाज के सुजीत सूर्यवंशी, पवार समाज के हेमराज पटले, साहू समाज के ओमप्रकाश साहू, आई टी सेल के प्रभारी भूपेश पहाड़े, युवा सेवा संघ के नितिन दोईफोड़े, ओमप्रकाश डहेरिया मुख्य रूप से उपस्थित थे।