जपियो जिन अर्जुन देव गुरु, फिर संकट जोन गर्भ न आइयो।
शहीदों के सरताज, सिखधर्म के पहले शहीद, धन-धन श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के सम्पादक, गुरु रामदास जी व बीबी भानी जी के सपुत्र श्री गुरु अर्जुन देव जी के शाहीदीपर्व पर निकाले गए नगरकीर्तन का अपने निवास स्थान कच्चा बाज़ार में स्वागत करके गुरु जी को कोटि-कोटि नमन करते हुए इनैलो प्रदेश प्रवक्ता ओंकार सिंह ने कहाकि शांतिपुंज श्री गुरु अर्जुन देव जी को मुग़ल सम्राट जहांगीर के बागी पुत्र की मदद करने के आरोप मे सम्राट के आदेशानुसार चंदू दीवान ने ज्येष्ठ महीने में गर्म खोलते पानी मे उन्हें बिठाया, फिर तपती तवी पर बिठा कर गरम रेत उनके शरीर पर डाली परन्तु गुरुजी धर्म पर अडिग रहे, इन अमानवीय अत्याचारों घबराए नही और ईश्वर का आदेश मान कर सब सहन किया। स्वयं तत्ते तवे पर बैठकर मुग़ल सम्राट जहांगीर के अनेक जुल्म सहन करके भी समाज को शांति व शीतलता का संदेश दिया। देश व धर्म की रक्षा हेतु शांतिपुंज गुरुजी ने अपने आप को कुर्बान कर दिया परन्तु इस्लाम कबूल नही किया। गुरुजी की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए ही आज भी सिख धर्म के अनुयायी परहित व जनहित के कार्यो में शामिल रहते हैं इसलिए सम्पूर्ण विश्व के प्रत्येक कोने में सिख धर्मानुयाईओ ने मानवता के कार्य करने में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। आज के दिन पूरे देश व विदेश में ठंडे जल की छबील लगाई जाती है और लंगर बांटे जाते हैं। आज जरूरत है समाज मे गुरुजी की शिक्षाओं का प्रचार व प्रसार करने और उनपर ल करने की ताकि आपसी भाईचारा, सद्भाव ओर प्रेम-प्यार में वृद्धि हो और समाज के प्रत्येक वर्ग का भला हो सके।