लुधियाना,2 अप्रैल (प्रेस की ताकत बयूरो)- पंजाब विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने नवजोत सिद्धू का अध्यक्ष पद से इस्तीफा स्वीकार कर लिया था लेकिन अभी तक किसी नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है. इसी तरह विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद अभी तक नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है. जहां तक पंजाब के अध्यक्ष की बात है तो सिद्धू इस पद को बरकरार रखने के लिए मौजूदा और पूर्व विधायकों के साथ पैरवी करते रहे हैं, जबकि प्रताप सिंह बाजवा, रवनीत बिट्टू, चौधरी संतोख सिंह पंजाब अध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष पद के लिए पैरवी करते रहे हैं. सुखजिंदर रंधावा, राजा वारिंग, सुखपाल खैरा लेकिन नेताओं के बीच बढ़ती गुटबाजी को देखते हुए अभी तक आलाकमान ने फैसला नहीं लिया है.उन्होंने कहा कि ऐसा देखा गया है कि कांग्रेस बिना किसी विपक्षी नेता के सरकार से चुनाव लड़ रही है. पूर्व राष्ट्रपति सुनील जाखड़ ने कहा है कि विपक्ष के नेता का चुनाव विधायकों की वोटिंग से होना चाहिए। दूसरी ओर प्रताप सिंह बाजवा ने कहा था कि कर्नल को तुरंत जनरल नहीं बनाया जा सकता था लेकिन पहले लंबी दौड़ में घोड़ों के बजाय खच्चरों का इस्तेमाल किया जाता था। इसलिए अब कोई भी फैसला लेने से पहले आलाकमान को वरिष्ठता और निष्ठा का ध्यान रखना चाहिए. पी। रवनीत बिट्टू ने कहा कि पंजाब में शेरों को गधों ने मारा क्योंकि अब तो आलाकमान को भी समझ आ गया है कि जिन नेताओं को बताया जा रहा था कि उनके बिना चुनाव नहीं लड़ा जा सकता और जो बड़े-बड़े दावे कर रहे थे, सिंह बने, उनकी हवा है. गया। बिट्टू ने सिद्धू पर यह भी टिप्पणी की कि मिस गाइड मिसाइल हमारे तोपखाने पर उतरी थी। वहीं नवजोत सिद्धू ने कहा था कि सोने की भीड़ के बाद अब पार्टी को पता चलेगा कि कौन किसके साथ है और कौन भाग रहा है. मैं पंजाब की आत्मा की आवाज के लिए संघर्ष करता रहूंगा।