जालंधर: नगर निगम प्रचार अपने यौवन पर पहुंच चुका है। प्रचार के लिए मात्र 48 घंटे बचे हैं। जालंधर, अमृतसर और पटियाला के अनेक प्रत्याशियों ने अपनी डिमांड भेजी थी कि कै. अमरेंद्र सिंह आखिरी दिनों में उनके हलके में प्रचार करने आएं। प्रत्याशियों का तर्क था कि कै. के प्रचार करने से कांग्रेस की जीत की राह आसान हो जाएगी। हालांकि सी.एम. आफिस की ओर से प्रचार के आखिरी दिन तीनों जिलों में एक-एक रैली के बारे में सोचा जा रहा था, मगर अब बात सामने आई है कि कैप्टन ने नगर निगम चुनावों में प्रचार के लिए बिल्कुल मना कर दिया है। हैरानी की बात तो यह रही कि कांग्रेस पार्टी के किसी भी बड़े नेता ने नगर निगम प्रचार में अपना जोश नहीं दिखाया और सिर्फ विधायकों तक ही पूरे प्रचार अभियान को छोड़ रखा है। कैप्टन का पहले विधानसभा चुनावों में प्रचार के लिए जालंधर न आना और अब उनकी ओर से नगर निगम चुनावों में प्रचार अभियान से पूरी तरह दूरी बनाए रखने से कांग्रेसी वर्कर बेहद हताश व आक्रोशित हैं। वर्करों का कहना है कि प्रचार अभियान से दूर रह कर कैप्टन समेत सभी बड़े नेता क्या मैसेज देना चाहते हैं। गौर हो कि विधानसभा चुनाव के दौरान भी कै. अमरेंद्र सिंह ने जालंधर में एक भी रैली नहीं की थी। जालंधर में प्रचार अभियान की कमान पूरी तरह से फायर ब्रांड नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने संभाली थी और सिद्धू के ही करिशमे का यह कमाल था कि दोआबा में अधिकांश सीटों पर कांग्रेस ने जीत प्राप्त की थी और 10 साल बाद प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता में वापिसी हुई थी।
मगर सत्ता में आने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री जनता से लगातार दूरी बनाए हुए हैं। जालंधर में भी उनका एक ही दौरा हुआ और वह भी सरकार बनने के 7 महीने के बाद। इसके अलावा प्रदेश के कई जिले हैं, जहां अभी तक मुख्यमंत्री के कदम तक नहीं पड़े हैं।