घोटालेबाज कोई भी हो बक्शा नही जाएगा।
सत्ता परिवर्तन पर फुटबॉल प्रेमियों के आधुनिक ग्राउंड व नर्सरी बनाई जाएगी।
अम्बाला,11 मार्च(जगदीप सिंह)-जनधन बर्बादी में अम्बाला छावनी छेत्र को अव्वल दर्जा के पुरस्कार मिलने की सिफारिश करते हुए इनैलो प्रदेश प्रवक्ता ओंकार सिंह ने कहाकि शायद पूरे प्रदेश में एकमात्र छेत्र अम्बाला छावनी होगा जहां हज़ारों करोड़ रुपये खर्चने के पश्चात भी एक भी सड़क सबूत नही है और एक भी रास्ता शुरू से अंत तक खुला नही है। उन्होनें बताया कि जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत फुटबाल ग्राउंड के बारे 17 बिंदुओं पर सूचना 18 जनवरी 2022 को पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट अम्बाला छावनी से मांगी गई थी जो विलम्ब के पश्चात 4 मार्च को प्राप्त हुई। सूचना अनुसार स्टेडियम का कार्य 17 अप्रैल 2017 को शुरू हुआ था, जिस पर अबतक 115.07 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं लेकिन कम अभी भी अधूरा है। कार्य शुरू हुए 5 वर्ष होने को हैं और कार्य अभी भी अधूरा है। जहां तक फीफा द्वारा मान्यता प्राप्त स्टेडियम होने की बात है तो प्राप्त सूचना में यह स्पष्ट है कि स्टेडियम फिलहाल सिर्फ 17 अक्टूबर 2024 तक ही मान्यता प्राप्त है और अक्टूबर 2024 तक कितने अंतराष्ट्रीय मैच इस स्टेडियम में होंगे यह देखने का विषय है। वर्णनीय है कि अम्बाला किसी समय फुटबाल के मामले में अम्बाला छावनी के लालकुर्ती छेत्र को मिनी बंगाल कहा जाता था। बहुत ही अफसोस व चिंता का विषय है कि जब अम्बाला छावनी के फुटबॉल ग्राउंड में कोई सुविधा नही थी तो खिलाड़ी अंतराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी अम्बाला में थे।
दलिप कुमार, विजय सिंह, संजय विज, प्रेम नाथ, अशोक शर्मा, देश राज, चन्द्र शर्मा जैसे अनगिनत फुटबाल स्टार अम्बाला छावनी में पैदा हुए। बहुत अजीब बात है कि आज अम्बाला में फुटबॉल खिलाड़ियों के पास एक भी ग्राउंड नही है। चाहिए तो यह था कि अम्बाला छावनी में फुटबॉल की नर्सरी बनती ताकि देश व विदेश को अच्छे खिलाड़ी अम्बाला छावनी से मिलते लेकिन अफसोस कि पिछले 5 वर्ष से फुटबॉल खिलाड़ी स्टेडियम में घुस भी नही सके। चिंता का विषय यह भी है कि 115 करोड के फुटबाल स्टेडियम में अंतराष्ट्रीय मैच करवाने के चर्चे तो होते हैं लेकिन अंतराष्ट्रीय खिलाडियों के ठहरने के लिए न तो एक भी सेवेन स्टार या फाइव स्टार होटल है और न ही समुचित पार्किंग व्यवस्था। पुराने बस स्टैंड के पास जो वर्षो से पार्किंग बन रही है वो इतनी छमता की नही है कि उसमें हज़ारों गाड़िया खड़ी हो सकें जबकि सूचना अनुसार स्टेडियम की छमता 3700 व्यक्तियों की है। कुल मिलाकर आज हमारे बच्चों व सम्भावित स्टार खिलाड़ियों के पास खेलने के लिए कोई भी ग्राउंड नही है। स्टेडियम के सामने बने होस्टल में भी 7.63 करोड़ रुपये का खर्च बताया गया जो कि बहुत ज्यादा लगता है। फुटबाल ग्राउंड 115 करोड़ के आधुनिकीकरण की भेंट चढ़ गया, गांधी ग्राउंड 30 लाख के साईकल ट्रैक व मिट्टी की भेंट चढ़ गया और दशहरा ग्राउंड 50 लाख की एक दीवार के बावजूद गन्दगी व अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया। उन्होंने फुटबॉल प्रेमियों से वायदा किया कि उनकी सरकार आने पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त फुटबॉल ग्राउंड भी बनाया जाएगा और फुटबॉल की नर्सरी भी बनाई जाएगी ताकि फुटबॉल के छेत्र में अम्बाला छावनी का रुतबा पुनर्स्थापित किया जा सके और फुटबॉल प्रेमियों का मान सम्मान बढ़ सके।