निर्वाचन आयोग ने शनिवार को पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान किया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कहना है कि सुशील चंद्र ने कहा कि इस बार आयोग ने तीन लक्ष्यों पर काम किया है। ये लक्ष्य हैं आसान और कोविड सेफ चुनाव के साथ साथ मतदाताओं की ज्यादा से ज्यादा से ज्यादा भागीदारी।
- Elections will be in 7 phases in UP
अधिकतम मतदाताओं की संख्या 1500 से 1250 निर्धारित
सुशील चंद्र ने कहा कि इस बार आयोग पर्याप्त संख्या में वीवीपैट की व्यवस्था करेगा। उम्मीदवारों को आनलाइन नामांकन का भी विकल्प मिलेगा। पोलिंग स्टेशन पर अधिकतम मतदाताओं की संख्या 1500 से 1250 निर्धारित की गई है। दिव्यांगों और 80 साल से ज्यादा उम्र वाले वरिष्ठ नागरिकों के साथ कोविड संक्रमितों को घर से मतदात करने की सुविधा मिलेगी।
सुशील चंद्र ने कहा कि इस बार 16 फीसद पोलिंग बूथ बढ़ाए गए हैं। 2.15 लाख से ज्यादा पोलिंग स्टेशन बने हैं। चुनाव कोविड प्रोटोकाल के साथ कराए जाएंगे। पोलिंग बूथ पर कोरोना से बचाव के लिए मास्क, सेनिटाइजर आदि उपलब्ध कराए जाएंगे। थर्मल स्कैनिंग की भी व्यवस्था की गई है।
18.34 करोड़ मतदाता इस चुनाव में हिस्सा लेंगे
सुशील चंद्र ने कहा कि सर्विस मतदाता को मिलाकर 18.34 करोड़ मतदाता इस चुनाव में हिस्सा लेंगे जिनमें से 8.55 करोड़ महिला मतदाता हैं। 24.9 लाख वोटर पहली बार वोट डालेंगे। हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक पोलिंग स्टेशन ऐसा होगा जिसका संचालन पूरी तरह से महिलाओं के हाथ में होगा। यहां तक की इस पोलिंग स्टेशन पर सुरक्षाकर्मी भी महिलाएं ही होंगी।
सुशील चंद्र ने कहा कि इस बार आयोग ने तीन लक्ष्यों पर काम किया है। ये टारगेट हैं आसान और कोविड सेफ चुनाव के साथ साथ मतदाताओं की ज्यादा से ज्यादा से ज्यादा भागीदारी। कोरोना काल में पांच राज्यों की 690 विधानसभा क्षेत्रों कोविड सेफ चुनाव कराना बेहद चुनौती भरा काम है। इन चुनावों में 18 करोड़ से ज्यादा वोटर हिस्सा लेंगे
सुशील चंद्र ने कहा कि इस बार आयोग ने तीन लक्ष्यों पर काम किया है। ये टारगेट हैं आसान और कोविड सेफ चुनाव के साथ साथ मतदाताओं की ज्यादा से ज्यादा से ज्यादा भागीदारी। कोरोना काल में पांच राज्यों की 690 विधानसभा क्षेत्रों कोविड सेफ चुनाव कराना बेहद चुनौती भरा काम है। इन चुनावों में 18 करोड़ से ज्यादा वोटर हिस्सा लेंगे
सूत्रों का कहना है कि आयोग पांचों चुनावी राज्यों का दौरा कर चुका है और सभी राज्यों की तैयारियों से संतुष्ट है। यह जरूर है कि लोगों को महामारी से बचाने के लिए कड़ी चुनावी बंदिशें लागू होंगी। इसके तहत घर-घर जाकर पहले जैसा प्रचार और भीड़ जुटाने वाली रैलियां नहीं होंगी। एक विचार यह भी है कि प्रचार की अवधि कम की जाए। प्रचार अभियान में लोगों की संख्या भी सीमित हो सकती है। साथ ही मतदान के दौरान मास्क लगाना अनिवार्य होगा। यदि कोई इसका उल्लंघन करता पाया जाएगा तो उसे वोट डालने से भी रोका जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार, आयोग के ऐसे निर्णय के बारे में पूरा प्रचार किया जाएगा, ताकि लोग जागरूक रहें। नेताओं की ओर से यह चूक होती है तो वे आचार संहिता उल्लंघन के दायरे में आ सकते हैं। सूत्रों की मानें तो ज्यादातर राज्यों से जो रिपोर्ट आई है, उसके आधार पर भी आयोग कुछ नए सुरक्षा प्रोटोकाल तय करने में जुटा है। शारीरिक दूरी पर विशेष जोर दिया जा रहा है। लोगों को भीड़ से बचाने के लिए पोलिग बूथों की संख्या बढ़ाई जा रही है। एक बूथ पर एक हजार या उससे कम लोगों की भीड़ होगी।
सैनिटाइजेशन और वैक्सीनेशन को भी प्रभावी तरीके से लागू करने की तैयारी है। बूथ एजेंट के लिए वैक्सीन की डबल डोज अनिवार्य होगी। विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय टीम चुनावों के दौरान अपनाए जाने वाले स्वास्थ्य प्रोटोकाल को तैयार करने में जुटी है। माना जा रहा है कि चुनाव कार्यक्रमों के एलान के साथ ही इस पर सख्ती से अमल भी शुरू हो जाएगा। ओमिक्रोन संक्रमण के खतरे को देखते हुए इन चुनावों के दौरान प्रचार की अवधि को भी कम किया जा सकता है।