पृथ्वी के विकिरण क्षेत्र में पाए जाने वाले कुछ क्रियाशील और नुक्सान पहुंचाने में सक्षम तत्वों के स्रोत से जुड़े 60 साल पुराने रहस्य का भेद खुल गया है तथा यह संभव हुआ है एक बच्चे द्वारा संचालित जूते के आकार के एक उपग्रह से मिले आंकड़ों से। अमरीका के बोल्डर स्थित कोलोराडो विश्वविद्यालय के प्रोफैसर शिनलिन ली ने बताया कि इस अध्ययन से पता चलता है कि पृथ्वी के अंदरूनी विकिरण क्षेत्र में पाए जाने वाले इन क्रियाशील इलैक्ट्रोनों का निर्माण सुपरनोवा विस्फोट से निकली ब्रह्मांडीय (कॉस्मिक) किरणों से हुआ है। पृथ्वी का विकिरण क्षेत्र उसके चुंबकीय क्षेत्र में पाए जाने ऊर्जा कणों का स्तर है। इसे वैन एलेन बैल्ट भी कहा जाता है। अनुसंधान टीम ने दिखाया कि ‘कॉस्मिक रे अल्बेडो न्यूट्रॉन डिके (क्रांड)’ नामक प्रक्रिया के दौरान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने वाली ब्रह्मांडीय किरणें तटस्थ परमाणु से टकराती हैं जिससे बहुत तेज चमक निकलती है जिसके फलस्वरूप इलैक्ट्रोन समेत आवेशित कण बनते हैं और वे पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में फंस जाते हैं। यह अध्ययन नेचर पत्रिका में छपा है।