~ आज का हिन्दू पंचांग ~
⛅दिनांक – 20 अक्टूबर 2022
⛅दिन – गुरुवार
⛅विक्रम संवत् – 2079
⛅शक संवत् – 1944
⛅अयन – दक्षिणायन
⛅ऋतु – शरद
⛅मास – कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र में अश्विन मास)
⛅पक्ष – कृष्ण
⛅तिथि – दशमी शाम 04:04 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅नक्षत्र – अश्लेषा सुबह 10:30 तक तत्पश्चात मघा
⛅योग – शुभ शाम 05:53 तक तत्पश्चात शुक्ल
⛅राहु काल – दोपहर 01:51 से 03:17 तक
⛅सूर्योदय – 06:38
⛅सूर्यास्त – 06:10
⛅दिशा शूल – दक्षिण दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:59 से 05:49 तक
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:00 से 12:49 तक
⛅व्रत पर्व विवरण –
⛅ विशेष – दशमी को कलम्बिका शाक खाना सर्वथा त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
एकादशी तिथि में चावल खाना निषेध ।
🌹 21 अक्टूबर 2022 – रमा एकादशी 🌹
एकादशी 20 अक्टूबर शाम 04:05 से 21 अक्टूबर शाम 05:22 तक है । व्रत उपवास 21 अक्टूबर शुक्रवार को रखा जायेगा ।
👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
🌹दीपावली (24 अक्टूबर) – लक्ष्मीप्राप्ति की साधना🌹
🌹लक्ष्मीप्राप्ति की साधना का एक अत्यंत सरल और केवल तीन दिन का प्रयोगः दीपावली के दिन से तीन दिन तक अर्थात् भाईदूज तक एक स्वच्छ कमरे में गौ चंदन धूप कर के दीपक जलाकर, शरीर पर पीले वस्त्र धारण करके, ललाट पर केसर का तिलक कर के, स्फटिक मोतियों से बनी माला द्वारा नित्य प्रातः काल निम्न मंत्र की दो-दो मालायें जपें ।
🌹ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद् महै । अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि । तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ।।
🔹धनतेरस (22 अक्टूबर 2022) के दिन दीपदान का महत्त्व🔹
🔹’स्कंद पुराण’ में आता है कि धनतेरस को दीपदान करनेवाला अकाल मृत्यु से पार हो जाता है । धनतेरस को बाहर की लक्ष्मी का पूजन धन, सुख-शांति व आंतरिक प्रीति देता है । जो भगवान की प्राप्ति में, नारायण में विश्रांति के काम आये वह धन व्यक्ति को अकाल सुख में, अकाल पुरुष में ले जाता है, फिर वह चाहे रूपये – पैसों का धन हो, चाहे गौ – धन हो, गजधन हो, बुद्धिधन हो या लोक – सम्पर्क धन हो । धनतेरस को दिये जलाओगे… तुम भले बाहर से थोड़े सुखी हो, तुमसे ज्यादा तो पतंगे भी सुख मनायेंगे लेकिन थोड़ी देर में फड़फड़ाकर जल – तप के मर जायेंगे । अपने – आपमें, परमात्मसुख में तृप्ति पाना, सुख – दुःख में सम रहना, ज्ञान का दिया जलाना – यह वास्तविक धनतेरस, आध्यात्मिक धनतेरस है ।