Sunday, June 29, 2025
Press Ki Taquat
No Result
View All Result
  • HOME
  • BREAKING
  • PUNJAB
  • HARYANA
  • INDIA
  • WORLD
  • SPORTS
  • ENTERTAINMENT
  • CAREER
  • EDUCATION
  • DHARAM
  • E-Paper
  • CONTACT US
Advertisement
No Result
View All Result
  • HOME
  • BREAKING
  • PUNJAB
  • HARYANA
  • INDIA
  • WORLD
  • SPORTS
  • ENTERTAINMENT
  • CAREER
  • EDUCATION
  • DHARAM
  • E-Paper
  • CONTACT US
No Result
View All Result
Press Ki Taquat
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home BREAKING

अख़बार मालिकों, पत्रकारों और मैनेजमेंट के लिए ख़तरे की घंटी

admin by admin
in BREAKING, INDIA, POLITICS
Reading Time: 1 min read
A A
0
अख़बार मालिकों, पत्रकारों और मैनेजमेंट के लिए ख़तरे की घंटी
ADVERTISEMENT
  • Facebook
  • Twitter
  • WhatsApp
  • Telegram
  • Facebook Messenger
  • Copy Link

लोकतंत्र को खतम करने को साजिश।

RelatedPosts

भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की पार्टी महासचिवों संग बैठक, दिल्ली में हुई मीटिंग

विधानसभा अध्यक्ष ने दी हलके को बड़ी सौगात

0
ਹਰਿਆਣਾ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਸੂਬੇ ਵਿਚ ਸਹੀ ਮੁੱਲ ਦੀ ਦੁਕਾਨਾਂ  ਲਈ ਸਰਲ ਪੋਰਟਲ ਤੇ ਲਾਇਸੈਂਸ ਜਾਰੀ ਕਰਨ ਦੀ ਨਵੀਂ ਆਨਲਾਇਨ ਸੇਵਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ

13 जुलाई को अराध्य देव महाराजा दक्ष प्रजापति की जयंती राज्य स्तर पर भिवानी में मनाई जाएगी – कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा

0
हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने की मेजबानी

हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने की मेजबानी

0
कवि सम्मेलन में गरजे दीपक साहू

कवि सम्मेलन में गरजे दीपक साहू

0
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पंजाब कैबिनेट का ऐतिहासिक फैसला

मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पंजाब कैबिनेट का ऐतिहासिक फैसला

0
पोषण जागृति माह में आयोजित होंगी कई प्रतियोगिताएं : अमनीत पी. कुमार

हरियाणा के नौकायन खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता में लहराया परचम

0

भारत सरकार ने लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को खतम करने के लिए एक सोची समझी रणनीति के तहत एक नई पालिसी को तैयार किया है। लोकसभा चुनाव से पहले इस पालिसी को इसलिए लागू नहीं किया गया क्योंकि सरकार को इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते थे। अगर ये पालिसी चुनाव से पहले लागू की जाती तो ज़मीन पर काम करने वाले अख़बार मलिक सरकार को उसकी ज़मीन दिखा देते। हो सकता है कि सत्ता परिवर्तन भी हो जाता।

बता दें इस पालिसी के लागू होने के बाद देश में केवल 2 प्रतिशत अख़बार ही जीवित रहेंगे। छोटे अख़बार जिनकी प्रसार संख्या 25000 से कम होगी उन्हें कोई विज्ञापन नहीं मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि 98 प्रतिशत अख़बार इसी केटेगरी में आ जाएँगे। सरकार एक रणनीति के तहत पहले मझोले अख़बारों को मारेगी। फिर नीचे वालों को। छोटे अख़बारों की हैसियत से सरकार बखूबी वाक़िफ़ है। वह जानती है कि ये कभी एक नहीं हो सकते। रही बात मीडिया ऑर्गेनाइज़ेशनों की तो वह पहले से ही निष्क्रिय है। सब अपनी अपनी राजनीति चमकाने में व्यस्त है।

ADVERTISEMENT

भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित इस पालिसी में एक से एक नये नये बिंदु डाले गये हैं कि कहीं से भी कोई निकल ना पाए। मिसाल के तौर पर सर्कुलेशन वेरिफिकेशन के लिये।

– अपनी स्वयं की प्रेस होने के अलावा अब कोई विकल्प नहीं रहेगा।

– ⁠प्लेस ऑफ़ पब्लिकेशन अगर एक वर्ष के बीच में बदला गया है तो आप अपने अख़बार की वेरिफिकेशन नहीं करा सकते ।

– ⁠अख़बार वितरण से होने वाली आय 24- 48 घंटों के भीतर बैंक खाते में जाम की जानी चाहिए ।

– ⁠अब से सिर्फ़ डेस्क ऑडिट होगा। अब से आप अख़बार छापो या मत छापो। सिर्फ़ काग़ज़ पूरे करके डिपार्टमेंट में जमा कर दो। फिजिकल वेरफ़िकेशन नहीं की जाएगी।

– ⁠मशीन रूम रिटर्न का प्रारूप प्रस्तावित आरऐनआई के हिसाब से ही होना चाहिए। मिनट तो मिनट रिपोर्ट करना होगा। कब प्लेट लगाई, कब मशीन का बटन दबाया, कब पेपर फटा, कितनी स्पीड पर मशीन चली, मशीन पर 8 घंटे में कितने अख़बार छपते हैं। मशीन का मेक और मॉडल कौन सा है। रील का वज़न कितना है, उसमें से पेपर कितना निकला, गत्ता कितना निकला, वेस्टेज कितनी हुई। हर चीज़ का वजन आरऐनआई द्वारा प्रस्तावित प्रारूप में भरना होगा।

– प्रिंटिंग प्रेस में काग़ज़ का स्टॉक कितना है। उसे रील टू रील, प्रति ग्राम के हिसाब से लिखना होगा। कुल मिलाकर 4 कर्मचारी प्रेस वाला इसी में लगाएगा की वह हर डिटेल भरे। हर चीज़ का वजन करे। उसे MRR – Machine Room Return में अंकित करे।

– ⁠अगर आपकी स्वयं प्रेस नहीं है तो मान कर चलिए आप इस प्रक्रिया को पूरा करना तो दूर, इस प्रक्रिया से गुज़र भी नहीं पायेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रिंटिंग प्रेस वाले के पास आरऐनआई द्वारा एक पत्र भेजा जाएगा। जिसमें छपाई से जुड़ा प्रारूप होगा। इसमें छपाई के जीएसटी बिल, प्रिंटिंग शेड्यूल, मशीन की क्षमता, प्रेस का मासिक बिजली बिल अथवा जनरेटर और डीजल बिल, प्रेस पर छपने वाले सभी अख़बारों के नाम, उनकी प्रसार संख्या, काग़ज़ पार्टी द्वारा उपलब्ध करवाया गया है या प्रेस द्वारा, काग़ज़ के बिल, पूरे महीने में इस्तेमाल की जाने वाली इंक (शाई) की कुल खपत के अलावा कई और पैरामीटर शामिल किए गए हैं। और ये सारी जानकारी एक प्रेस वाले को बाक़ायदा एफिडेविट पर देनी होगी। अब आप स्वयं हो सोच लीजिए कि कितने प्रिंटर इसके लिए राज़ी होंगे।

– ⁠इसके अलावा आपको ये भी जानकारी देनी होगी कि अख़बार में कुल लागत जैसे काग़ज़, प्लेट, इंक, बिजली बिल, स्टाफ सैलरी, डिस्ट्रीब्यूशन कॉस्ट, अन्य ख़र्चों के बाद आपका अख़बार फ़ायदे में है या नहीं। अख़बार बेचने के लिए आपने गिफ्ट दिया तो कितने का दिया। एक रेश्यो निकाला जायेगा जिससे ये पता चलेगा कि आपका अख़बार फ़ायदे में है या नहीं। अगर फ़ायदे में नहीं है तो आप अख़बार चला कैसे रहे हैं।

– ⁠ये तो भारत सरकार की प्रस्तावित पालिसी के कुछ अंश भर है। एक बार आप स्वयं बढ़ लें।

हम सभी लोग समाचार पत्रों के व्यवसाय से लगभग 30-40 सालों से जुड़े हुए हैं। यक़ीन मानिए की अगर ये पालिसी लागू हो गई तो देश में सिर्फ़ 2 प्रतिशत अख़बार ही बचेंगे। वह भी सिर्फ़ हिंदुस्तान टाइम्स या टाइम्स ऑफ़ इंडिया जैसे। ये पूरी इंडस्ट्री ख़त्म हो जाएगी। कुछ लोग अगर ये सोच रहे हैं कि हम तो अपने अख़बार स्मॉल केटेगरी में रख लेंगे। तो आप ये मत भूलिए कि पालिसी कभी किसी एक व्यक्ति या संस्था विशेष के लिए नहीं बनती। ये एक सोची समझी रणनीति के तहत लोकतंत्र को ख़त्म करने की ओर बढ़ाया गया एक और कदम है। एक पुरानी कहावत है कि बकरा कब तक खैर मनाएगा।

इसके अलावा ग़ौर करने योग्य पहलू :-

– कौन सा प्रिंटर आपका अख़बार छापने को तैयार होगा?

– न्यूज़पेपर इंडस्ट्री से लाखों लोग रातों- रात सड़क पर आ जाएँगे।

– ⁠पीआईबी- डीआईपी कार्ड सहित पत्रकारों को मिलने वाली सभी सुविधाएँ समाप्त हो जायेंगी।

– ⁠देश भर के प्रेस क्लब सहित पत्रकारों के हितों के लिए बनी संस्थाएँ, एडिटर्स एसोसिएशन इत्यादि अपने आप ही समाप्त हो जायेगी।

अभी आर ऐन आई की एनुअल रिटर्न ही नहीं भरी जा पा रही। इसके लिए हर पब्लिशर धक्के खा रहा है। इसके साथ ही सरकार एक और कुठाराघात करने की तैयारी कर चुकी है। सिर्फ़ ऊपर के आकाओ से निर्देश मिलने का इंतज़ार है।

 

– सरकार अख़बार के काग़ज़ की खपत के बिल माँगे, इंक के बिल माँगे। ये सब समझ में आता है लेकिन इतनी सारी फ़ॉर्मैलिटीज लगाना असल में अख़बार वालों का मनोबल तोड़ने का उद्देश्य है। ज़्यादातर अख़बार वाले इतनी सारी काग़ज़ी कार्यवाही से ही डरकर हथियार डाल देंगे। यही सरकार चाहती है।

बहरहाल,अगर इस पालिसी को लागू होने से नहीं रोका गया तो अख़बारों को इतिहास का हिस्सा बनते देर नहीं लगेगी।

इस लिए आज के इन हालातों को देखते हुए समय की जरूरत को समझते हुए आवश्यकता है के सभी मीडिया पत्रकारों को एकजुट होना चाहिए तभी लोकतंत्र के इस चौथे स्तम्भ को बचा पाओगे। इस लिए एकजुट होकर अपनी शक्ति को पहचानो दोस्तों।

❤️न्यूज़ पेपर एडिटर, पब्लिशर एसोसिएशन regtd. इंडिया ❤️

🙏प्रेजिडेंट : जगदीश गोयल पटियाला = 8360763439🙏🏿

Post Views: 271
  • Facebook
  • Twitter
  • WhatsApp
  • Telegram
  • Facebook Messenger
  • Copy Link
Tags: broadcast journalismbroadcast journalism careercrisis managementenvironmental risk managementinternational journalismjournalismjournalism careerjournalism paneljournalism safetyjournalism tipsjournalistjournalist hangoutjournalistsjournalists of coverlocal journalistsManagementmultimedia journalistperformance management
Previous Post

आज का पंचांग – दैनिक पंचांग

Next Post

संजय सिंह की रिपोर्ट के अनुसार, आप मंत्री आतिशी ने अस्पताल में भर्ती होने के बाद भूख हड़ताल समाप्त कर दी है।

Related Posts

भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की पार्टी महासचिवों संग बैठक, दिल्ली में हुई मीटिंग
BREAKING

विधानसभा अध्यक्ष ने दी हलके को बड़ी सौगात

0
ਹਰਿਆਣਾ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਸੂਬੇ ਵਿਚ ਸਹੀ ਮੁੱਲ ਦੀ ਦੁਕਾਨਾਂ  ਲਈ ਸਰਲ ਪੋਰਟਲ ਤੇ ਲਾਇਸੈਂਸ ਜਾਰੀ ਕਰਨ ਦੀ ਨਵੀਂ ਆਨਲਾਇਨ ਸੇਵਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ
BREAKING

13 जुलाई को अराध्य देव महाराजा दक्ष प्रजापति की जयंती राज्य स्तर पर भिवानी में मनाई जाएगी – कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा

0
हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने की मेजबानी
BREAKING

हरियाणा के मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने की मेजबानी

0
कवि सम्मेलन में गरजे दीपक साहू
INDIA

कवि सम्मेलन में गरजे दीपक साहू

0
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पंजाब कैबिनेट का ऐतिहासिक फैसला
BREAKING

मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पंजाब कैबिनेट का ऐतिहासिक फैसला

0
पोषण जागृति माह में आयोजित होंगी कई प्रतियोगिताएं : अमनीत पी. कुमार
BREAKING

हरियाणा के नौकायन खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता में लहराया परचम

0
Next Post
संजय सिंह की रिपोर्ट के अनुसार, आप मंत्री आतिशी ने अस्पताल में भर्ती होने के बाद भूख हड़ताल समाप्त कर दी है।

संजय सिंह की रिपोर्ट के अनुसार, आप मंत्री आतिशी ने अस्पताल में भर्ती होने के बाद भूख हड़ताल समाप्त कर दी है।

Press Ki Taquat

© 2023 presskitaquat.com - Powered by AMBIT SOLUTIONS+917488039982

Navigate Site

  • HOME
  • BREAKING
  • PUNJAB
  • HARYANA
  • INDIA
  • WORLD
  • SPORTS
  • ENTERTAINMENT
  • CAREER
  • EDUCATION
  • DHARAM
  • E-Paper
  • CONTACT US

Follow Us

No Result
View All Result
  • HOME
  • BREAKING
  • PUNJAB
  • HARYANA
  • INDIA
  • WORLD
  • SPORTS
  • ENTERTAINMENT
  • CAREER
  • EDUCATION
  • DHARAM
  • E-Paper
  • CONTACT US

© 2023 presskitaquat.com - Powered by AMBIT SOLUTIONS+917488039982