चंडीगड़ 19 अगस्त (प्रेस की ताकत डेस्क) : पंजाब के पूर्व डी. जी. पी. सुमेध सिंह सैनी को गुरुवार को मोहाली की अदालत में पेश किया गया। इस मौके पर पुलिस की तरफ से सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए हुए थे। सुमेध सिंह सैनी को विजीलैंस ब्यूरो की गाड़ी में अदालत लाया गया। इसी दौरान उनके वकीलों ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में अपील दायर कर दी। जिसका फैसला अभी तक नहीं आया इसलिए सैनी सारा दिन बख्शीखाने में ही बैठे रहे और उन्हें कोई मिलने भी नहीं आया। सुमेध सिंह सैनी ने सफेद रंग का कुर्ता पजामा पहना हुआ था और मुंह पर सफेद रुमाल बांधा हुआ था। वह काफी परेशान नज़र आ रहे थे।
बता दें कि पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने बुधवार को पूर्व डी. जी. पी. सुमेध सिंह सैनी को भ्रष्टाचार के मामले में और एक ओर एफ.आई.आर. के संबंध में गिरफ़्तार किया। पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने पूर्व डीजीपी पंजाब श्री सुमेध सिंह सैनी को थाना विजीलैंस ब्यूरो, उडऩ दस्ता -1, पंजाब में दर्ज मुकदमा नं: 11, तारीख़ 17 -9-2020, अ/ध 409, 420, 465, 467, 468, 471, 120-बी आइपीसी और 7(ए) (बी) (सी) और 7-ए, 13 (1) र/व 13(2) भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के अधीन गिरफ्तार कर लिया है जिसको आज को एस.ए.एस. नगर की अदालत में पेश किया गया।
आज यहाँ यह जानकारी देते हुये पंजाब विजीलैंस ब्यूरो के एक प्रवक्ता ने बताया कि कुराली, जि़ला एस.ए.एस. नगर में साल 2013 में वल्र्ड वाइड इम्मीग्रेशन कंसलटैंसी सर्विसिज अस्टेटस प्राईवेट लिम. एस.ए.एस. नगर के डायरैक्टर दविन्दर सिंह संधू की तरफ से स्थानीय निकाय पंजाब के डिप्टी डायरैक्टर अशोक सिक्का, पीसीएस (रिटा.), सागर भाटिया, सीनियर टाऊन प्लैनर (रिटा.) और अन्य के साथ मिलीभुगत करके कृषि वाली ज़मीन और कुदरती चोअ में से अवैध तरीके से रिहायशी कालोनी दिखा कर, ग्रीन मीडोज़ -1 और ग्रीन मीडोज़ -2 नाम की रिहायशी कालोनियों के वास्तविक तथ्य छिपाकर, फर्जी और झूठे दस्तावेज़ों के आधार पर धोखाधड़ी से पास करवा ली थी। इस सम्बन्धी मुकदमा 11 तारीख़ 17-9-2020, अ /ध 409, 420, 465, 467, 468, 471, 120-बी आइपीसी और 7(ए) (बी) (सी) और 7-ए, 13 (1) र /और 13 (2) भ्रष्टचार रोकथाम कानून के अधीन थाना विजीलैंस ब्यूरो, उडऩ दस्ता-1, पंजाब मोहाली के विरुद्ध उक्त दोषियों को दर्ज किया गया था।
उन्होंने बताया कि जाँच के दौरान यह तथ्य सामने आए कि दविन्दर सिंह संधू लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी इंजीनियर निमरतदीप सिंह का पुराना जानकार था और निमरतदीप सिंह की उच्च अधिकारियों के साथ काफ़ी जान-पहचान थी। उसकी तरफ से उक्त कालोनियां सर्टीफायी करवाने के बदले दविन्दर सिंह संधू से तकरीबन 6 करोड़ रुपए रिश्वत माँग कर हासिल की गई थी।
प्रवक्ता के अनुसार विजीलैंस की तरफ से प्राथमिक जांच के उपरांत निमरतदीप सिंह, उसका पिता सुरिन्दरजीत सिंह जसपाल और उसके सहयोगी तरनजीत सिंह अनेजा और मोहित पुरी आदि को दोषी नामज़द करके हुये अगली जाँच अमल में लाई गई। जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि दोषी निमरतदीप सिंह की तरफ से अवैध तरीके से हासिल की रकम के साथ मकान नंबर 3048, सैक्टर 20-डी, चंडीगढ़ (क्षेत्रफल 02 कनाल) की खरीद सितम्बर 2017 में करने के उपरांत पुराने मकान को गिरा कर आलीशान नये मकान का निर्माण किया गया जो कि इस आधार पर क्रिमिनल ला अमैंडमैंट आर्डीनैंस 1944 के अधीन उक्त मकान को प्रोवीजीनली अटेच करवाने के लिए विजीलैंस ब्यूरो द्वारा जि़ला सत्र अदालत, एस.ए.एस. नगर में जनवरी 2021 में अलग दरख़ास्त दी गई थी।
उन्होंने बताया कि इस सम्बन्धी दोषी सुरिन्दरजीत सिंह जसपाल और निमरतदीप सिंह की तरफ से जाँच के दौरान शुरुआत में यह जानकारी दी गई कि उक्त मकान की पहली मंजिल में तारीख़ 15 -10 -2018 से श्री सुमेध सिंह सैनी, पूर्व डीजीपी पंजाब बतौर किरायेदार रह रहे हैं और इसके बदले वह 2.50 लाख रुपए प्रति महीना किराया अदा कर रहे हैं। लेकिन जाँच के दौरान उक्त दोषी और श्री सुमेध सिंह सैनी के दरमियान हुए वित्तीय लेन-देन सम्बन्धी विश्लेषण से सामने आया कि श्री सुमेध सिंह सैनी की तरफ से अपने बैंक खाते में से अगस्त 2018 से अगस्त 2020 तक कुल 6 करोड़ 40 लाख रुपए सुरिन्दरजीत सिंह जसपाल और निमरतदीप सिंह के बैंक खातों में तबदील किये थे और यह रकम उक्त कथित किराएनामे के मुताबिक तबदील नहीं की गई थी।
प्रवक्ता ने बताया कि जब इस सम्बन्धी विजीलैंस ब्यूरो की तरफ से गहराई से जाँच शुरू की तो दोषी सुरिन्दरजीत सिंह जसपाल और निमरतदीप सिंह की तरफ से श्री सुमेध सिंह सैनी के साथ सोची समझी साजिश के अंतर्गत यह नया तथ्य पेश किया कि उक्त मकान को खरीद करने सम्बन्धी किरायेदार श्री सुमेध सिंह सैनी की तरफ से जुबानी करारनामा किया गया है, लेकिन जैसे जैसे जाँच में उक्त लेन-देन के बारे और नये तथ्य उजागर होते रहे और उक्त मकान को माननीय अदालत में अटेच होने से बचाने की बदनियति से उक्त दोषियों की तरफ के बाद में एक करारनामा बिक्री तारीख़ 02-10-2019 की फोटोकापी पेश की गई जो कि सादे कागज़ पर बिना किसी गवाही के केवल सुरिन्दरजीत सिंह जसपाल और सुमेध सिंह सैनी के हस्ताक्षरों के तहत तैयार किया गया था।
उन्होंने बताया कि इस मुकदमे की जाँच के दौरान पाया गया कि सुरिन्दरजीत सिंह जसपाल और श्री सुमेध सिंह सैनी की तरफ से सलाह करके मकान नंबर 3048, सैक्टर 20 -डी, चण्डीगढ़ की अटैचमैंट को रोकने के लिए बैंक के द्वारा पहले हुए आपसी पैसों के लेन-देन की आड़ में एक झूठा करारनामा तैयार किया गया और इसको कीमती दस्तावेज़ के तौर पर इस्तेमाल किया है। इसके उपरांत विजीलैंस ब्यूरो ने उक्त मुकदमे में विस्तार जुर्म करके श्री सुमेध सिंह सैनी को बतौर दोषी नामज़द किया गया था, जिस पर उनको बीती रात तारीख़ 18-08-2021 को गिरफ्तार किया गया है।
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