चंडीगढ़, 17 सितम्बर (शिव नारायण जांगड़ा)- मंत्रीमंडल ने शुक्रवार को तरस के आधार पर गुरशेर की बतौर आबकारी और कर इंस्पेक्टर की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी। परन्तु, इसको एक ही बार दी राहत समझा जायेगा और इस मामले को प्रथा नहीं बनाया जायेगा।
मंत्रीमंडल की वीडियो कांफ््रेसिंग के द्वारा हुई मीटिंग की अध्यक्षता करते हुये मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस बात का नोटिस लिया कि गुरशेर के पिता भुपजीत ने रवि सिद्धू के समय हुए पी.पी.एस.सी. घोटाले का पर्दाफाश करते हुए पंजाब लोक सेवा आयोग में पादर्शिता लाने में अहम भूमिका निभाई थी।
भुपजीत सिंह, जो कि आबकारी और कर विभाग में आबकारी और कर अधिकारी के तौर पर तैनात थे, का 28 सितम्बर, 2011 को देहांत हो गया था। उस समय उनके पुत्र गुरशेर सिंह ने कामर्स में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई अभी पूरी ही की थी। दफ़्तरी रिकार्ड के अनुसार स्वर्गीय भुपजीत सिंह की पत्नी जसबीर कौर ने 26 जून, 2020 को दिये आवेदन के द्वारा (अपने पति की मौत से 8 साल बाद) यह विनती की थी कि उसके पुत्र गुरशेर सिंह को नौकरी दी जाये।
नवंबर 21, 2002 की सरकारी नीति और दिसंबर 28, 2005 को एक पत्र के द्वारा हुये संशोधन के मुताबिक मृतक कर्मचारी /अधिकारी के वारिसों के लिए मौत की तारीख़ से एक साल के अंदर नौकरी के लिए आवेदन देना ज़रूरी होता है। इस नीति में यह भी साफ़ है कि यदि देरी का कोई वाजिब कारण हो, तो उम्मीदवार की आवेदन 5 साल देर करने की हद तक भी स्वीकृत किया जा सकता है बशर्ते कि देरी के कारणों के विस्तार में जाते हुए परसोनल विभाग से विशेष मंज़ूरी ली जाये।
यह भी ज़िक्रयोग्य है कि गुरशेर की योग्यता बैचुलर ऑफ कामर्स है जोकि आबकारी और कर इंस्पेक्टर के पद के लिए सहायक है। उम्मीदवार की योग्यता को देखते हुए भुपजीत सिंह के उसके कार्यकाल के दौरान डाले योगदान के मद्देनज़र उम्मीदवार को आबकारी और कर इंस्पेक्टर के पद के लिए विचारा गया है और मंत्रीमंडल ने विशेष आधार पर राहत देने का फ़ैसला किया है।
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