पटियाला, 8 अक्टूबर (प्रेस की ताकत ब्यूरो)
बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पटियाला जिले के किसान आधुनिक कृषि मशीनरी का उपयोग करके फसल अवशेषों का प्रबंधन कर रहे हैं। इसी कड़ी में गाँव तेईपुर के गुरमुख सिंह और जतिंदर सिंह, जो पिछले नौ सालों से अपनी 10 एकड़ जमीन में बिना पराली जलाए गेहूं की बुआई कर रहे हैं। इससे न केवल उन्हें अच्छी आय हो रही है, बल्कि वे पर्यावरण को स्वच्छ रखते हुए संतुष्टि भी महसूस कर रहे हैं।
किसान गुरमुख सिंह ने बताया कि वे 2015 से पराली को जलाए बिना खेतों में ही मिलाकर खेती कर रहे हैं। वे सुपर एसएमएस से लैस कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग करते हैं और फिर सुपर सीडर से गेहूं की बुआई करते हैं। अपने कृषि अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि पराली को खेतों में मिलाने से जमीन की कलर (खारापन) खत्म हो गई है, उपजाऊ शक्ति बढ़ी है, और यूरिया खाद का इस्तेमाल पहले से आधा रह गया है।
उन्होंने आगे बताया कि फसल की पैदावार बढ़ने के साथ-साथ उसकी गुणवत्ता और रंगत में भी सुधार हुआ है। साथ ही, खेत में पानी अवशोषित करने की क्षमता में वृद्धि हुई है।
गुरमुख सिंह ने बताया कि सुपर सीडर एक पर्यावरण-सहायक तकनीक है और इसके कई अन्य लाभ भी हैं। इससे न केवल गेहूं की बुआई एक बार में हो जाती है बल्कि समय की भी काफी बचत होती है। उन्होंने कहा कि सुपर सीडर से बुआई की गई गेहूं को जलाकर बुआई की गई गेहूं की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है।
प्रगतिशील किसान गुरमुख सिंह ने अन्य किसानों से भी अपील की कि वे आधुनिक मशीनरी का उपयोग करें ताकि हम सभी पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकें। उन्होंने कहा कि आधुनिक मशीनों के उपयोग से जहाँ पैसे और समय की बचत होगी, वहीं जमीन की उपजाऊ क्षमता में भी वृद्धि होगी।