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प्रकृति संरक्षण और स्वच्छ पर्यावरण के लिए प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाना पहली प्राथमिकता: मुख्यमंत्री

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प्रकृति संरक्षण और स्वच्छ पर्यावरण के लिए प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाना पहली प्राथमिकता: मुख्यमंत्री
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चंडीगढ़, 5 जून — विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे प्रकृति संरक्षण और स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में योगदान देने हेतु एक पेड़ अवश्य लगाएं और प्लास्टिक मुक्त राज्य बनाने के लिए प्लास्टिक का उपयोग बंद करने का संकल्प लें।

मुख्यमंत्री आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जिला चरखी दादरी में आयोजित एक पेड़ मां के नाम 2.0 राज्यस्तरीय समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने एक पेड़ माँ के नाम अभियान के दूसरे चरण, हरित अरावली कार्य योजना तथा मियावाकी पौधारोपण अभियान का शुभारंभ किया। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने 5 इलेक्ट्रिक बसों को भी वायु प्रदूषण मुक्त के संदेश के साथ झंडी दिखाकर रवाना किया।

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक पेड़ माँ के नाम अभियान की शुरुआत की थी। उनका कहना था कि जितना सम्मान हम अपनी जन्म देने वाली माँ को देते हैं, उतना ही सम्मान, हमारी धरती माता को भी दें।

श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकारों के सहयोग से बनाई गई हरित अरावली कार्य योजना के तहत चार राज्यों में फैले अरावली क्षेत्र को हरा-भरा बनाना है। इसमें चारों राज्यों के 29 जिलों को शामिल किया गया है, जिसमें हरियाणा के 5 जिले शामिल है।

उन्होंने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य वायु, जल, व मिट्टी हर प्रकार के प्रदूषण की समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करना है। इस बार के विश्व पर्यावरण दिवस का थीम है- प्लास्टिक मुक्त धरती। उन्होंने कहा कि आज प्लास्टिक से पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है और हमें इसके प्रति भी सचेत होने की आवश्यकता है, क्योंकि आने वाली पीढ़ियों को भी इससे नुकसान होगा। पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।

श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि जब हम विकसित भारत और विकसित हरियाणा की दिशा में बढ़ रहे हैं तो इस यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है कि हमारा पर्यावरण स्वच्छ हो। इसके लिए हमें पेड़ों को कटने से बचाना होगा और साथ ही प्लास्टिक के उपयोग को भी बंद करना होगा।

उन्होंन कहा कि जब तक हम प्लास्टिक कचरे पर वैश्विक स्तर पर हो रहे दुष्प्रभावों के बारे में नहीं जानेंगे तब तक उसके निपटान के बारे में भी हम नहीं सोच सकेंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रकृति को प्लास्टिक मुक्त बनाने का ध्यान केंद्रित किया जा रहा है और इस प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने के लिए विभिन्न कदम भी उठाए जा रहे हैं। हरियाणा में राज्य सरकार ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक के आइटम पर बैन लगाया है। साथ ही 120 एमएम की प्लास्टिक थैलियों पर भी बैन लगाया है।

 

रोडवेज के बेड़े में लगभग 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक बसें शामिल करने का लक्ष्य

 

श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि आज 5 इलेक्ट्रिक बसों को भी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है। सरकार ने अपने संकल्प पत्र में 11 नगर निगमों में 375 इलेक्ट्रिक बसें देने का लक्ष्य रखा था, जिस पर लगातार आगे बढ़ रहे हैं। इससे पहले भी, नौ शहरों में सिटी बस सेवा के तहत लगभग 45 बसें दी गई। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ई-बस सेवा योजना के तहत लगभग 450 और बसें वर्ष 2026 तक खरीद कर रोडवेज के बेड़े में शामिल की जाएंगी। ये बसें गुरुग्राम, फ़रीदाबाद, पानीपत, यमुनानगर, रोहतक और हिसार में भेजी जाएंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले 5 वर्षों में सरकार का लक्ष्य रोडवेज के बेड़े में लगभग 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक बसें शामिल करने का है। इससे डीजल की खपत में भी कमी आएगी और वायु प्रदूषण भी नहीं होगा। इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा बैटरी से चलने वाले वाहनों की खरीद पर सब्सिडी का भी प्रावधान किया गया है।

 

पराली प्रबंधन पर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा की करी सराहना, पंजाब को सीख लेने की नसीहत

 

पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार ने वायु प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने के लिए पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने का काम किया है। पराली के उचित प्रबंधन के लिए सरकार लगातार काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली की पूर्व सरकार हर बार यह कहती थी कि पंजाब और हरियाणा के किसान अपनी पराली जलाते हैं, जिसका धुआं इकट्ठा होकर दिल्ली की तरफ आ जाता है और दिल्ली का वातावरण खराब होता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी हरियाणा की प्रशंसा करते हुए अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि हरियाणा सरकार ने पराली प्रबंधन पर बेहतरीन कार्य किया और पंजाब को भी हरियाणा से सीखने की जरूरत है।

 

सभी नागरिक अपने घर या सार्वजनिक स्थानों पर एक पौधा अवश्य लगाने का ले संकल्प

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बायोमैडिकल कचरा, प्लास्टिक उपयोग और हानिकारक पदार्थों के निपटान, सॉलिड वेस्ट आदि के नियंत्रण हेतु भी विभिन्न नीतियां लागू की गई हैं। विद्यार्थियों को पर्यावरण संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूक करने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में 5250 इको क्लब भी स्थापित किए हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश को हरा भरा बनाने के लिए जिला मुख्यालय पर पांच से 100 एकड़ क्षेत्र में ऑक्सी वन स्थापित करने की योजना भी शुरू की है। करनाल में पिछले वर्ष ऑक्सी वन की स्थापना की गई है और पंचकूला में इस पर कार्य चल रहा है।

उन्होंने कहा कि आज इस अवसर पर सभी नागरिक संकल्प लें कि अपने घर के आंगन में या सार्वजनिक स्थानों पर या किसी खेत में एक पौधा अवश्य लगाएंगे।

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव विभाग द्वारा तैयार पुस्तिकाओं- एक पेड़ माँ के नाम नर्सरी तथा हरित अरावली कार्य योजना का भी विमोचन किया। इसके अलावा, प्लास्टिक मुक्त वातारण का संदेश देने के उद्देश्य से जूट से बने बैग के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए जूट बैग को भी प्रोमोट किया।

 

हर व्यक्ति को अधिक से अधिक पेड़ लगाने और पॉलिथीन के उपयोग को त्यागने का लेना चाहिए संकल्प: राव नरबीर सिंह

पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव मंत्री श्री राव नरबीर सिंह ने विश्व पर्यावरण दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसकी शुरुआत वर्ष 1972 में हुई थी और पहली बार इसे वर्ष 1973 में मनाया गया था। उन्होंने बताया कि इस वर्ष का विषय ‘प्लास्टिक मुक्त धरती’ है, जो अत्यंत प्रासंगिक है, क्योंकि आज के समय में सबसे बड़ा प्रदूषण प्लास्टिक के कारण हो रहा है।

मंत्री ने कहा कि प्लास्टिक मुक्त वातावरण उनका निजी विजन भी है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह बंद करें और स्वच्छ, सुरक्षित पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ाएं, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां साफ-सुथरी हवा में सांस ले सकें।

उन्होंने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके दूसरे चरण के अंतर्गत हर व्यक्ति को अधिक से अधिक पेड़ लगाने और पॉलिथीन के उपयोग को त्यागने का संकल्प लेना चाहिए।

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चरखी दादरी बना पर्यावरणीय पहल का केंद्र: सांसद धर्मबीर सिंह

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विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह ने चरखी दादरी को पर्यावरण से जुड़ी नई योजनाओं के शुभारंभ स्थल के रूप में चयन करने पर मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के समय जब लोग ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए इधर-उधर भटक रहे थे, तब यह महसूस हुआ कि यदि पर्यावरण हरा-भरा हो और वन क्षेत्र अधिक हो, तो प्राकृतिक रूप से पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध हो सकती है। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा अरावली क्षेत्र को हरा-भरा करने की पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे न केवल इस क्षेत्र को पर्यावरणीय लाभ मिलेगा, बल्कि वर्षा, जल संरक्षण और भूजल स्तर में सुधार जैसे अनेक सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलेंगे। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे अधिक से अधिक पेड़ लगाकर पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें। इस अवसर पर दादरी के विधायक सुनील सतपाल सांगवान, बाढड़ा के विधायक उमेद पातुवास व नलवा के रणधीर पनिहार सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

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