केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में ग्रुप ए के अधिकारियों का नियंत्रण आखिर किसके हाथ में रहेगा इसको लेकर केंद्र सरकार लोकसभा में दिल्ली सर्विसेस बिल पेश करेगी.
संसद में मणिपुर को लेकर हंगामा चल रहा है. इस बीच मंगलवार (1 अगस्त) को लोकसभा में दिल्ली सर्विसेस बिल पेश किया जाएगा. यह बिल राजधानी दिल्ली में ग्रुप ए के अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग और डिपॉर्टमेंट एलाकेशन का काम करेगा.इस बातचीत पर संजय सिंह ने कहा कि वह और उनकी पार्टी साथ में अन्य विपक्षी दलों के पास राज्यसभा में पर्याप्त संख्या बल है लिहाजा वह वहां से यह बिल पास नहीं होने देंगे. सिंह ने कहा कि यह बिल असंवैधानिक है क्योंकि इस बिल से दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री के अधिकार छीने जा रहे हैं. संजय सिंह ने कहा कि अभी जब संदन में अविश्वास प्रस्ताव लंबित है लेकिन बावजूद इसके ऐसा अविश्वास प्रस्ताव लाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ. संजय सिंह ने कहा कि लोकसभा में भले ही हमारे पास संख्या बल नहीं हो लेकिन राज्यसभा में संख्या बल है और हम इस बिल को गिराएंगे. राज्यसभा के नंबर गेम की बात करें तो इस समय उच्च सदन की आठ सीटें रिक्त हैं और कुल सदस्य संख्या 237 है. ऐसे में इस संख्याबल के आधार पर राज्यसभा से बिल पारित कराने के लिए 119 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी. बीजेपी के पास कुल 91 सांसद हैं और एनडीए के पास कुल 109 सांसद है. ऐसे में राज्य 31 सांसद हैं. उच्च सदन में टीएमसी के 12, डीएमके के 10, जेडीयू के 5, एनसीपी के 4, शिवसेना यूबीटी के 3, सपा के 3, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के एक, लेफ्ट पार्टियों के दो, झारखंड मुक्ति मोर्चा के दो, केरल कांग्रेस (एम) के एक, राष्ट्रीय जनता दल के छह सांसद हैं. चूंकि 10 सांसदों की स्थिति स्पष्ट नहीं है लिहाजा संजय सिंह राज्यसभा में खुद के पास समर्थन होने की बात कह रहे हैं.