छिंदवाड़ा(भगवानदीन साहू)- कई सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों ने मुख्य चुनाव आयोग के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर चुनाव प्रक्रिया में अति आवश्यक सुधार की मांग की। ज्ञापन में बताया कि हमारे सविधान में समानता का अधिकार है। इस अधिकार का सबसे ज्यादा दुरुपयोग राजनेताओं ने किया है। इसी वजह से विधानसभा एवं लोकसभा में कुछ अनपढ़ , जाहिल , गंवार, या आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का समावेश हो गया है ; जो इस देश का भाग्य विधाता बन गए हैं। यह देश की उन्नति के लिए घातक है । एक पढ़ा लिखा नौजवान चपरासी की नौकरी पाने के लिए अनेकानेक परीक्षाओं से गुजरता है , तब कहीं जाकर कुछ उम्मीद होती है । वहीं राजनेता जो हमारे देश का भाग्यविधाता है , उसके लिए कोई परीक्षा नहीं है । यह कैसी संवैधानिक व्यवस्था है ? सरकार को चाहिए की पार्षद या पंच से लेकर विधायक एवं सांसद तक के लिए कम से कम स्नातक या स्नात्कोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक करें जिससे देश के पढ़े – लिखे लोगों को राजनीति व देश सेवा में अवसर मिलेगा । ऐसे लोग देश को सूचारू रूप से चलाने में सक्षम होंगे। एक छोटा सा देश है इज़राईल जो चारों ओर से दुश्मन मुस्लिम देशों से घिरा हुआ है , फिर भी वहाँ के लोगों की देशभक्ति पूजनीय है वहाँ के संविधान में एक नियम है जिसको भी विधायक या सांसद बनकर देश सेवा करना है, उन्हें लगभग 3 वर्ष तक सेना में सेवा देना आवश्यक है । तब कहीं जाकर वह चुनाव लड़ने का अधिकारी होता है । वहाँ का चुनाव मतदान प्रतिशत के आधार पर तय होता है , ना कि उम्मिदवारों को मिले मतों के आधार पर । कोरोना जैसी भयंकर जानलेवा बीमारी में भी हमारे देश के अधिकतर माननीयों ने स्वयं के वेतन , भत्ता अन्य सुविधाओं का त्याग नही किया और देश के सामने एक दुःखद उदाहरण पेश किया । अतः आपसे प्रार्थना है कि सभी चुनाव में उम्मीदवारों के लिए स्नातक , स्नात्कोत्तर , डिप्लोमा व अन्य परीक्षा आवश्यक की जायें । जिससे देश का अधिक से अधिक भला हो सके। ज्ञापन देते समय शिक्षाविद विशाल चउत्रे, आधुनिक चिंतक हरशुल रघुवंशी,
कलार समाज के सुजीत सूर्यवंशी, कुनबी समाज के अंकित ठाकरे, राष्ट्रीय बजरंग दल के नितेश साहू, पवार समाज के हेमराज पटले, साहू समाज के ओमप्रकाश साहू, युवा सेवा संघ के नितिन दोईफोड़े, ओमप्रकाश डहेरिया, आई. टी. सेल प्रभारी भूपेश पहाड़े मुख्य रूप से उपस्थित थे।