बाढ़ से खेत, मवेशियों और अन्य को नुकसान के कारण मुआवजे की मांग कर रहे किसान संगठनों से जुड़े अनेक लोग मंगलवार को चंडीगढ़ कूच पर अड़े रहे। इसके चलते कई जगह किसानों की पुलिस से भिड़ंत हुई। चंडीगढ़ सीमा पर करीब 4,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए। कुल 72 जगहों पर नाकेबंदी की गई। कई जगह पहले से ही धारा 144 लगी थी।
अम्बाला के पास शंभू बॉर्डर क्षेत्र में देर रात तक स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। गौर हो कि किसान मजदूर संघर्ष समिति, भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी), बीकेयू (एकता आजाद), आजाद किसान समिति, दोआबा, बीकेयू (बेहरामके) और भूमि बचाओ मुहिम सहित 16 किसान संगठनों ने प्रदर्शन का आह्वान किया था। मंगलवार सुबह ही अम्बाला-हिसार बाईपास पर चंडीगढ़ कूच को निकले किसानों और पुलिस के बीच झड़प जैसी स्थिति पैदा हो गई। कुछ किसानों को बस में बिठाकर जब पुलिस ले गयी तो किसान इसी हाईवे पर पंजाब सीमा पर धरने पर बैठ गये और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। इस बीच, चंडीगढ़ की सीमाओं में सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध रहा। पुलिस अफसरों की मानें तो चंडीगढ़ में किसी भी किसान जत्थेबंदी को प्रवेश नहीं करने दिया गया।
ससम्मान रिहाई की मांग भी जोड़ी किसान नेताओं ने हिरासत में लिए गए लोगों की ससम्मान रिहाई की भी मांग जोड़ी। उन्होंने केंद्र से 50 हजार करोड़ के विशेष पैकेज की मांग की। बर्बाद फसलों पर 50 हजार प्रति एकड़ के साथ-साथ किसान नेताओं ने प्रति मवेशी 1 लाख रुपए और रेत से भरे खेतों में खनन की इजाजत मांगी। बाढ़ में जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा, क्षतिग्रस्त खेतों के लिए विशेष पैकेज, 1 साल के लिए सभी ऋण और ब्याज माफी की भी मांग की गयी।
वाहनों की तलाशी जारी चंडीगढ़ में सभी प्रवेश एवं निकास बिंदुओं पर सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं। पुलिस ने कई स्थानों पर अवरोधक लगाए हैं और वहां से गुजर रहे वाहनों की तलाशी ली जा रही है। जगह-जगह दंगा-रोधी वाहनों को तैनात किया गया है। तलाशी अभियान के दौरान कई जगह पुलिस बेरिकेड के पास जाम की स्थिति का सामना आम लोगों को करना पड़ रहा है।