छिंदवाड़ा(भगवानदीन साहू)- संस्कृत पुस्तकोंन्नति सभा द्वारा संचालित सन्त श्री आशारामजी गौशाला में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी गोपाष्टमी पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया । सैकड़ों साधकों ने गौशाला पहुँचकर सभी गायों की विधिवत पूजा अर्चना कर गायों को गुड़ , रोटी और दलिया खिलाई । गोपाष्टमी के दिन ही जगत के पालन हार भगवान श्रीकृष्ण ने गाय चराना शुरू की थी । गायों में 33 कोटि देवी देवता विराजमान रहतें हैं । गायों के पूजन से सभी देवता प्रसन्न होकर मनुष्य को इच्छित फल देते हैं । देशी गायों में सूर्य नाड़ी होती हैं इसके स्पर्श से रोग प्रतिकारक क्षमता विकसित होती हैं । जिससे मनुष्य निरोगी रहता है ।गोपाष्टमी के दिन की गई गायो की पुजा अर्चना वर्ष भर अनिष्ट से बचाती है ।शास्त्रों में आता हैं कि गोवर्धन पूजन के दिन भगवान श्री कृष्ण ने देवराज इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उंगली पर उठा लिया था 7 दिनों बाद देवराज इंद्र का गुस्सा शांत हुआ और उन्होंने हार मान ली 8 वे दिन पूरे ब्रज में उत्सव मनाया गया जिसे गोपाष्टमी कहते है । कार्यक्रम में अन्य जिलों के पशुपालक और कृषकों ने भी उपस्थित दर्ज की । सभी ने पशुपालन के उत्तम गुर सीखे और जैविक खेती का शानदार नजारा देखा । उक्त गौशाला प्रदेश की उत्कृष्ट गौशाला है जिसे समय-समय पर म.प्र. पशु संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष और माननीय मुख्यमंत्री जी सम्मानित कर चुकें हैं । गौशाला में लगभग 850 गायें निवासरत हैं। जिसमें से लगभग 550 कत्लखानों से बचाई गई पुलिस अभिरक्षा की गाये हैं , जिन्हें आश्रम प्रबंधन द्वारा नया जीवन देने का सफल प्रयास किया गया है । कार्यक्रम में जिला पशु चिकित्सालय के उप संचालक डॉ. पक्षपार , डॉ. टांडेकर , साध्वी रेखा बहन , साध्वी प्रतिमा बहन , गौशाला के संचालक जयराम भाई , समिति के अध्यक्ष मदनमोहन परसाई , गुरुकुल की संचालिका दर्शना खट्टर , एम. आर. पराड़कर , धनाराम सनोडिया , पी. आर. शेरके , सुभाष इंगले , बबलू माहोरे ,ओमप्रकाश गुप्ता , अशोक कराडे , तिलक सिह पन्द्राम , राम कुमार सूर्यवंशी , सुजीत सूर्यवंशी , महेश चुगलानी , विमल शेरके , छाया सूर्यवंशी ,दया परसाई , शकुंतला कराड़े , आदि ने उपस्थित दर्ज की।