चंडीगढ़, 5 जुलाई (प्रेस की ताकत)
पंजाब का इतिहास शहीदों, गुरूओं, संतों महापुरूषों और गदरी बाबों से सम्पन्न है और इसका सभ्याचार बहुत समृद्ध है। यह प्रगटावा आज भारत सरकार की राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की 58वीं जनरल कौंसिल की आनलाइन मीटिंग के दौरान पंजाब के शिक्षा मंत्री स. हरजोत सिंह बैंस ने किया।
इस मौके पर बोलते हुये स. बैंस ने केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी से अपील की कि पंजाब के इतिहास को देश के स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाये जिससे विद्यार्थियों में देश के प्रति सच्ची श्रद्धा और आपसी सदभावना की भावना पैदा हो सके।
स. बैंस ने कहा कि पंजाब हर क्षेत्र में देश का मार्गदर्शक रहा है और उत्तरी भारत का प्रवेश द्वार होने के कारण बहुत से शासकों के हमलों का भी बहादुरी से डट कर मुकाबला किया है।
यहाँ की ऐतिहासिक विरासत देश की पूंजी है जिसको भारत के सभी राज्यों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बना कर पाठ्य पुस्तकों के द्वारा सभी देश के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाना बहुत ज़रूरी है।
मीटिंग के दौरान स. बैंस ने एक अहम मुद्दा उठाते हुये भारत सरकार से माँग की कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने पंजाब राज्य के लिए साल 2017 में क्षेत्रीय शिक्षा संस्था बनाने की मंज़ूरी दी थी जिस पर कार्यवाही करते हुये पंजाब सरकार ने संस्था का कैंपस बनाने के लिए ज़िला रूपनगर में अपेक्षित ज़मीन की पहचान भी कर ली थी। स. बैंस ने कहा कि निश्चित की गई ज़मीन चंडीगढ़ हवाई अड्डे के नज़दीक होने के साथ-साथ बढ़िया सड़क मार्ग के साथ भी जुड़ी हुई थी, परन्तु उस ज़मीन को तकनीकी आधार पर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की तरफ से मंज़ूरी नहीं दी गई और बाद में मामला बंद कर दिया गया।
शिक्षा मंत्री ने पंजाब राज्य में फिर क्षेत्रीय शिक्षा संस्था स्थापित करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुये कहा कि राज्य में स्कूली शिक्षा और स्कूल अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए कोई भी राष्ट्रीय स्तर की संस्था मौजूद नहीं है। इसलिए पंजाब राज्य में इस संस्था को स्थापित करने के लिए फिर मंजूरी दी जाये।
उन्होंने केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री को विश्वास दिलाया कि पंजाब सरकार हवाई अड्डे तक आसान पहुँच और बढ़िया सड़क संपर्क वाली उचित ज़मीन मुहैया करवाने के लिए वचनबद्ध है।
स. बैंस ने इस मौके पर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की तरफ से पुस्तकों की कापी राइट के नाम पर ली जाती रॉयलटी का भी मुद्दा उठाया और माँग की कि इसको माफ किया जाना चाहिए जिससे पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड इसको राज्य की स्कूल शिक्षा को और बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल कर सके।