यदि मजीठिया ने न बताया तो मैं नाम सार्वजनिक करूँगा
नौजवानों को सरकारी नौकरियां देने का प्रयास जारी, अब तक 37934 नौजवानों को नौकरियाँ दीं
वतन वापसी की शुरुआत हुई, विदेशों से वापस आकर नौजवानों ने हासिल की नौकरियाँ
मुख्यमंत्री की कुर्सी आरामप्रसती के लिए नहीं, जन सेवा के लिए होती है
चंडीगढ़, 01 दिसंबरः
अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के पूर्वजों के पंजाब और सिख विरोधी किरदार का खुलासा करते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शुक्रवार को कहा कि बिक्रम मजीठिया के पूर्वजों की लालसा और व्यक्तिवाद ने सिखों के माथे पर घोड़ा चोर का कलंक लगाया है, जिस कारण यह माफी के भी लायक नहीं हैं।
यहाँ म्यूंसिपल भवन में नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि साल 1957 में भारत में मतदान हुये तो उस मौके पर जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बने। उनके नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल अरब मुल्कों के दौरे पर गया था। इस प्रतिनिधिमंडल में बिक्रम सिंह मजीठिया के पूर्वजों में समकालीन उप रक्षा मंत्री सुरजीत सिंह मजीठिया भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि अरब मुल्क के एक राजे ने भारतीय फ़ौज के लिए याद के तौर पर अरबी नस्ल के शानदार घोड़े तोहफ़े में दिए थे। यह घोड़े प्रशिक्षण के लिए फ़ौज के प्रशिक्षण केंद्र मेरठ भेजे जाने थे, जहाँ फ़ौज में शामिल जानवरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। दो महीने बाद अरबी राजे ने घोड़ों की हालत के बारे पता किया तो पता लगा कि वह घोड़े मेरठ में पहुँचे ही नहीं। इसके बाद राजे ने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पास नाराज़गी ज़ाहिर की।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर श्री नेहरू ने तुरंत सुरजीत सिंह मजीठिया का इस्तीफ़ा ले लिया था। मुख्यमंत्री ने कहा, “ इस घटना ने सिखों के सच्चे किरदार पर सवाल खड़े किये। यह बहुत दुख की बात है कि आज भी जब कोई दस्तारधारी सिख मेरठ के प्रशिक्षण केंद्र में जाता है तो उसे घोड़ा चोर के नज़रिए से देखा जाता है।“ भगवंत सिंह मान ने कहा कि बर्तानवी हकूमत का पानी भरने वाले मजीठिया ख़ानदान को अंग्रेज़ों ने सर की उपाधि से नवाजा था और यह उपाधि अंग्रेज़ अपने पिट्ठूओं को देते थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मजीठिया ख़ानदान ने 13 अप्रैल, 1919 को हुये जलियांवाला बाग़ हत्याकांड वाले दिन से अगले दिन इस हत्याकांड के दोषी जनरल डायर को खाना परोसा, जिससे इनकी घटिया सोच का पता लगता है। यहीं बस नहीं, जनरल डायर को सिरोपा भी दिलाया गया और माफी भी दिलाई। उन्होंने कहा कि यह और भी हैरानी की बात है कि सिरोपा देने वाले जत्थेदार अरूड़ सिंह लोक सभा मैंबर सिमरजीत सिंह मान के नाना थे। भगवंत सिंह मान ने कहा, “इतिहास कभी मिटाया नहीं जा सकता, मजीठिया के पूर्वजों के किरदार इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं।“
शिरोमणी अकाली दल की दयनीय स्थिति का ज़िक्र करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पार्टी का बेड़ा अब डूब चुका है और हालत यह बनी हुई है कि सुखबीर सिंह बादल और बिक्रम सिंह मजीठिया और हरसिमरत बादल के सुर भी आपस में नहीं मिलते।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में सरकारी नौकरियाँ देने के सिलसिले को जारी रखते हुये पंजाब सरकार ने अलग-अलग विभागों में अब तक 37934 नौजवानों को नौकरियाँ मुहैया करवा दीं हैं। अलग- अलग विभागों के 251 उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र सौंपने के मौके पर संबोधन करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी 37934 नियुक्तियाँ पूरी तरह मेरिट के आधार पर हुई हैं। उन्होंने कहा कि पूरी पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने के बाद यह नियुक्तियाँ की गई हैं और इन नौजवानों ने बेहद मुकाबले वाली परीक्षाएं पास करने के बाद में यह नौकरियाँ हासिल की हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि हमारी सरकार का पहले दिन से ही एकमात्र एजेंडा नौजवानों को नौकरियाँ मुहैया करवा के उनको अधिक अधिकार देना है। लड़कियों को नौकरियों के और ज्यादा मौके मिलने पर ख़ुशी सांझा करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को लड़कियों के प्रति अपनी धारणा बदल लेनी चाहिए क्योंकि लड़कियाँ हरेक क्षेत्र में बाज़ी मार रही हैं।
पंजाब की महान और उपजाऊ धरती छोड़ कर विदेश जाने के रुझान पर चिंता प्रकटाते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि अब यह रुझान बदल रहा है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ख़ुशी की बात है कि पंजाब में अब रिवर्स माइग्रेशन (वतन वापसी) का रुझान शुरू होने लगा है और कई नौजवानों ने विदेश छोड़ कर पंजाब में सरकारी नौकरियाँ हासिल की हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि वास्तव में हमारे नौजवान पंजाब की पवित्र धरती से बहुत मोह करते हैं परन्तु पिछले समय में बुरी व्यवस्था से तंग आकर विदेश जाने के लिए मजूबर थे। उन्होंने कहा कि अब नौजवानों को अपनी मनपसंद की नौकरी करने के मौके प्रदान किये जा रहे हैं जिससे उनका भविष्य सुरक्षित बनाया जा सके।
पंजाब के खजाने को खाली कह कर लोगों के आंखों झोंकने वाले राजनैतिक नेताओं पर तीखा निशाना साधते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तव में ख़ज़ाना कभी खाली नहीं होता, बल्कि नेताओं की नीयत खोटी होती है। यह नेता लोगों का पैसा अपने चाचे- भतीजे, साले- जीजे को दोनों हाथों से लुटाते थे।
मुख्यमंत्री पद को लोक सेवा का पद बताते हुये भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह कुर्सी आरामप्रसती के लिए नहीं होती, बल्कि 24 घंटे जन सेवा को समर्पित होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पंजाब की ज़मीनी हकीकतों से अच्छी तरह अवगत हैं जिस कारण वह पंजाब के हित में तुरंत फ़ैसला लेते हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को भी नसीहत दी कि ज़मीनी स्थिति को समझने से बिना चंडीगढ़ बैठ कर फ़ैसले न किये जाएँ क्योंकि हर इलाके के हालात अलग-अलग होते हैं।