नयी दिल्ली, 20 जुलाई (प्रेस की ताकत ब्यूरो)संसद के मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा में बृहस्पतिवार को कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने मणिपुर हिंसा का मुद्दा उठाते हुए हंगामा किया। सदस्यों के शोर शराबे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही नहीं चल पायी। इसे दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया। सरकार ने निचले सदन में कहा कि वह मणिपुर के मुद्दे पर लोकसभा अध्यक्ष द्वारा तय किसी भी तारीख पर चर्चा कराने को तैयार है, जिसका विस्तृत जवाब गृह मंत्री अमित शाह देंगे।
राज्यसभा में सभापति ने बताया कि विभिन्न मुद्दों पर अल्पकालिक चर्चा के लिए नियम 176 के तहत उन्हें 12 नोटिस मिले हैं और इनमें से 8 नोटिस मणिपुर हिंसा से संबंधित हैं। सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर चर्चा को तैयार है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने इस दौरान हंगामा आरंभ कर दिया और नियम 176 के तहत चर्चा कराए जाने पर आपत्ति जताई। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि सदस्यों ने नियम 267 के तहत भी इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए नोटिस दिए हैं। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस के सदस्यों ने नियम 267 के तहत नोटिस दिए हैं, जिसमें सारे कामकाज स्थगित कर चर्चा कराने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) को सदन में आना चाहिए और इस मुद्दे पर बयान देना चाहिए और फिर चर्चा की जानी चाहिए। इस पर सभापति ने कहा कि कार्यसूची में नियम 267 के तहत मिले नोटिस अगले विषय हैं। इसी दौरान ओ’ब्रायन ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि नियम पुस्तिका में नियम 267 बिल्कुल स्पष्ट है, जो कहता है कि जब तक इसके तहत उठाए गए मुद्दे पर चर्चा नहीं होती है, तब तक दूसरे किसी अन्य विषय को नहीं स्वीकार किया जा सकता। उन्होंने नियम 267 के तहत मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग पर बल दिया।