हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है। श्राद्धों के दिनों में हिन्दू धर्म में अपने पूर्वजों को याद किया जाता है और उनका अभार प्रकट किया जाता है। हिन्दू धर्म में यदि पितृ तृप्त होगें तो वह अपने परिवार आर्शीवाद देते है, जिससे परिवार में सुख, ऐश्वर्य और सुख शांति बनी रहती है।
हिन्दू धर्म में अपने पूर्वजों का श्राद्ध संस्कार व पिंड दान अवश्य करना चाहिए। पितृ पक्ष में प्रियजनों का श्राद्ध और तर्पण करने की परंपरा है। पितृ पक्ष में श्राद्ध करने की भी परंपरा है। श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा से है. पितृ पक्ष जब आरंभ होते हैं तो पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है. पितृ पक्ष में पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
(श्राद्ध पक्ष – 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर 2024)
▪️ 17 सितम्बर 2024, मंगलवार- पूर्णिमा का श्राद्ध महालय श्राद्धारम्भ
▪️ 18 सितम्बर 2024, बुधवार – प्रतिपदा का श्राद्ध
▪️ 19 सितम्बर 2024, गुरुवार – द्वितीया का श्राद्ध
▪️ 20 सितम्बर 2024, शुक्रवार – तृतीया का श्राद्ध
▪️ 21 सितम्बर 2024, शनिवार – चतुर्थी का श्राद्ध
▪️ 22 सितम्बर 2024, रविवार – पंचमी का श्राद्ध
▪️ 23 सितम्बर 2024, सोमवार – षष्ठी व सप्तमी का श्राद्ध
▪️ 24 सितम्बर 2024, मंगलवार – अष्टमी का श्राद्ध
▪️ 25 सितम्बर 2024, बुधवार – नवमी का श्राद्ध
▪️ 26 सितम्बर 2024, गुरुवार – दशमी का श्राद्ध
▪️ 27 सितम्बर 2024, शुक्रवार – एकादशी का श्राद्ध
▪️ 29 सितम्बर 2024, रविवार – द्वादशी का श्राद्ध
▪️ 30 सितम्बर 2024, सोमवार – त्रयोदशी का श्राध्द
▪️ 1 अक्टूबर 2024, मंगलवार- चतुर्दर्शी का श्राध्द आग-दुर्घटना-अस्त्र-शस्त्र- अपमृत्यु से मृतक का श्राद्ध
▪️ 2 अक्टूबर 2024, बुधवार – अमावश्या का श्राध्द व सर्वपित्री अमावस्या (अज्ञात तिथीवालों का श्राध्द)
🔹श्राद्ध पक्ष में पालनीय आवश्यक नियम व श्राद्ध संबंधित सम्पूर्ण जानकारी के लिए पढ़े आश्रम सत्साहित्य “श्राद्ध महिमा” में…