हरियाणा विधानसभा चुनाव इस बार काफी रोचक स्थिति में पहुंच चुका है। 5 अक्टूबर को होने वाले इस चुनाव में प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी, लेकिन भाजपा और कांग्रेस को उनके बागी नेताओं से बड़ा झटका लगा है। इन दोनों प्रमुख पार्टियों से कई नेता बगावत कर चुनावी मैदान में उतर चुके हैं, जिससे चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। भाजपा और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने बागी नेताओं को मनाने के लिए हर संभव प्रयास किए, जिसमें व्यक्तिगत बातचीत से लेकर राजनीतिक दबाव तक शामिल था, लेकिन इन कोशिशों का कोई खास असर नहीं हुआ। बागी नेता अब अपनी ही पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशियों की जीत की संभावनाएं कम हो गई हैं। उदाहरण के लिए, अंबाला कैंट से कांग्रेस का टिकट न मिलने के कारण चित्रा सरवारा निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला कर चुकी हैं।