चंडीगढ़ 16 नवंबर – हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग (एचईआरसी) के अध्यक्ष नन्द लाल शर्मा ने शुक्रवार देर शाम प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की। नवनियुक्त सरकार के कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत यह एचईआरसी अध्यक्ष की मुख्यमंत्री से पहली मुलाकात थी।
बैठक के दौरान विद्युत क्षेत्र में सुधार, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने, थर्मल पावर प्लांटों को दुरुस्त करने और विद्युत क्षेत्र से संबंधित केंद्र सरकार की योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। साथ ही एग्रीगेट ट्रांसमिशन एंड कमर्शियल लॉस (एटीएंडसी) को कम करने के महत्व पर भी चर्चा की गई, जिसमें बिजली वितरण क्षमता बढ़ाने, राजस्व घाटे को कम करने और हरियाणा में अधिक विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 86(2) के तहत राज्य विद्युत विनियामक आयोग राज्य सरकार को राज्य में बिजली उद्योग के पुनर्गठन, पुनर्संरचना, उत्पादन, प्रसारण और वितरण जैसे विषयों पर तकनीकी सलाह देता है। इसी के तहत एचईआरसी अध्यक्ष की मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई। इस दौरान हरियाणा के थर्मल प्लांटों को दुरुस्त करने, सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने और रूफटॉप सोलर योजनाओं को अधिक प्रभावशाली ढंग से लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री की “हर घर सूर्य योजना” को क्रांतिकारी तरीके से लागू करने के संबंध में भी विचार-विमर्श हुआ।
श्री शर्मा ने मुख्यमंत्री को बताया कि जब वे सतलुज जल विद्युत निगम के सीएमडी थे, तो उन्होंने तत्कालीन केंद्रीय विद्युत मंत्री के साथ मिलकर इस योजना को तैयार करवाने में अपनी भूमिका निभाई थी । उन्होंने कहा कि यह योजना भारत सरकार के 2030 तक 500 गीगावाट ग्रीन एनर्जी का उत्पादन करने के लक्ष्य को हासिल करने में मील का पत्थर साबित होगी। वर्तमान में एचईआरसी अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका विद्युत क्षेत्र में बेहतर विनियम बनाना और उनकी प्रभावी पालना सुनिश्चित करवाना है।
श्री शर्मा ने “हर घर सूर्य योजना” के बारे में बताया कि यह भारत सरकार की एक योजना है, जिसके तहत घरों पर सोलर पैनल लगाकर मुफ्त बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। इस योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 फरवरी, 2024 को की थी। यह योजना गरीबों के जीवन में उजाला लाने का काम करेगी। अंत्योदय परिवारों को सोलर पैनल लगाने पर सब्सिडी दी जाती है। इससे केंद्र सरकार को हर साल करीब 75,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।
इसके अतिरिक्त, बैठक में विद्युत क्षेत्र की मौजूदा चुनौतियों और उनके समाधान पर भी चर्चा हुई। इस वर्ष 31 जुलाई को राज्य में बिजली की अधिकतम खपत करीब 14,662 मेगावाट तक पहुंच गई थी, जिसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया। वर्तमान में प्रदेश में 14,943.92 मेगावाट बिजली की स्थापित क्षमता है और बिजली उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर लगभग 81 लाख हो गई है।