नयी दिल्ली, 1 अगस्त (प्रेस की ताकत ब्यूरो): प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ बृहस्पतिवार को सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए उपवर्गीकरण के मुद्दे पर फैसला सुनाएगी।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले कई अन्य वरिष्ठ वकीलों द्वारा प्रस्तुत तर्कों में ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (2004) के फैसले की समीक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें सभी एससी समुदायों की समरूप प्रकृति और संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत राष्ट्रपति सूची से जातियों को बाहर करने की संसद की विशेष शक्ति पर जोर दिया गया था।
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी, न्यायमूर्ति पंकज मिथल, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति एससी मिश्रा की पीठ पंजाब अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग (सेवाओं में आरक्षण) अधिनियम, 2006 की वैधता को भी संबोधित करेगी, जिसमें एससी कोटे के भीतर सार्वजनिक रोजगार में ‘वाल्मीकियों’ और ‘मजहबी सिखों’ के लिए ‘पहली वरीयता’ के साथ 50 प्रतिशत आरक्षण पेश किया गया है।