डॉ.जगमोहन शर्मा – हिमाचल प्रदेश के भाषा एवं संस्कृति विभाग के संरक्षण में, जवाहरलाल नेहरू राजकीय ललित कला महाविद्यालय, शिमला द्वारा 5 और 6 नवंबर, 2024 को “कला एवं समाज” विषय पर एक भव्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पटियाला घराने के प्रतिष्ठित संगीतज्ञ एवं पद्मश्री से सम्मानित पंडित सोम दत्त बट्टू जी ने मुख्य अतिथि के रूप में अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को शोभायमान किया। उनके साथ आदरणीय प्रोफेसर डॉ. राम स्वरूप शांडिल और प्रोफेसर जीत राम शर्मा, प्रोफेसर हिम चटर्जी जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों ने भी विशेष अतिथि के रूप में शिरकत की।
प्रोफेसर पंकजमाला शर्मा के उद्घाटन भाषण ने उपस्थित जनसमुदाय को कला और संस्कृति के गहन मुद्दों पर एक नई दृष्टि प्रदान की। सम्मेलन के विभिन्न तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता डॉ. जगमोहन शर्मा (गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स, पटियाला), डॉ. जीत राम शर्मा (अध्यक्ष, संगीत विभाग, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय), प्रो. विकास डोगरा (पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय), डॉ. हेम राज (अंग्रेजी विभाग, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय), डॉ. मृत्युंजय (संगीत विभाग, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय) और डॉ. दिनेश पाल (मूर्तिकला विभाग, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय) ने की। इन सत्रों में विभिन्न विद्वानों, शोधार्थियों और विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए।
वैलेडिक्टरी सत्र के मुख्य अतिथि प्रोफेसर रोशन शर्मा, विभागाध्यक्ष अंग्रेजी विभाग एवं डीन, केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला रहे। इस सत्र में डॉ. मीनाक्षी फेत पॉल, प्राचार्या संध्याकालीन अध्ययन विभाग, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने वैलेडिक्टरी स्पीकर के रूप में कला और संस्कृति पर अपने विचार प्रस्तुत किए। डॉ. आदित्यसिंह दुल्टा, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर अंग्रेजी ने सम्मेलन की विस्तृत रिपोर्ट पढ़ी। प्रतिभागियों में से श्री सुशांत अम्बोकर और श्री कुणाल भारद्वाज ने फीडबैक रिपोर्ट प्रस्तुत की। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. कामायनी बिष्ट ने सम्मेलन की सफलता पर सभी को बधाई दी। सम्मेलन समन्वयक डॉ. अंजना भारद्वाज ने मुख्य अतिथि और वक्ताओं का आभार व्यक्त किया, जबकि आयोजन सचिव डॉ. नीरज शांडिल ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में देश-विदेश के अनेक विशेषज्ञों, शोधार्थियों एवं विद्वानों ने हिस्सा लिया और अपने शोधपत्रों एवं विचारों के माध्यम से कला और समाज के विविध पहलुओं पर गहन चर्चा की। सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों ने महाविद्यालय की प्रेरणादायी प्राचार्या डॉ. कामायनी बिष्ट और सम्मेलन समन्वयक डॉ. नीरज शांडिल के प्रति आभार व्यक्त किया, जिनके नेतृत्व में यह आयोजन अत्यंत सफल और प्रभावशाली सिद्ध हुआ। सम्मेलन का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।