इराक में जून 2014 में आईएस द्वारा अगवा किए 39 भारतीयों के मारे जाने की खबर सुनने के पश्चात् जारी सूची को लेकर संबंधित ज़िलों में अलग-अलग मीडिया कर्मियों द्वारा परिवारों तक पहुंच करने के पश्चात इस सूची में शामिल ज़िला एसएएस नगर के खरड़ के जनता नगर के निवासी सुखविंद्र सिंह पुत्र दर्शन सिंह के घर पहुंचने पर पता चला कि यह नौजवान वर्ष 2014 में ही अपने घर वापस लौट आया था। हैरानी की बात तो यह है कि इस संबंधी आईएस की चुंगल से बचे ज़िला गुरदासपुर के काला अफगानों के निवासी हरजीत मसीह द्वारा भी गत् 3 वर्षों से यह दावा किया जा रहा था कि उसके अलावा शेष 39 भारतीय मारे जा चुके हैं, जोकि केंद्रीय मंत्री सुष्मा स्वराज द्वारा 39 भारतियों के मारे जाने की जारी की सूची में खरड़ के सुखविंद्र सिंह पुत्र दर्शन सिंह का नाम भी शामिल किया गया है, जोकि आज-कल अपने परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहा है। इस संबंधी सम्पर्क करने पर सुखविंद्र सिंह ने बताया कि जब इराक में 2014 में गड़बड़ी हुई थी तो समूह भारतीयों द्वारा भारत वापस जाने संबंधी कम्पनी को कहा गया था, लेकिन उनके आनाकानी करने के पश्चात् जब उनके द्वारा प्रैस को यह सूचना दी तो करीब 30-35 भारतीय, जिनमें पंजाबी ज्यादा थे, उनकी वापसी हो सकी। उन्होंने कहा कि उनके पास वापसी समय एक भी पैसा नहीं था, इसलिए उनके आने का प्रबंध इराक एंबैंसी द्वारा किया गया और उनको 20-20 डालर प्रति व्यक्ति जेब खर्च भी दिया गया था। हैरानी की बात तो यह है कि सुखविंद्र सिंह की पंजाब वापसी समय इराक से जयपुर पहुंचने पर बाकायदा पासपोर्ट पर इमीग्रेशन कार्यालय में मोहर लगती है, जिसका सारा रिकार्ड उपलब्ध होता है। इसके बावजूद गुमशुद्धा व्यक्तियों की लिस्ट में शामिल करना और अब उनके कत्ल होने संबंधी सूची जारी करना केंद्रीय एजैंसियों की कार्यगुजारी पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।