जालंधर – जब से कै. अमरेंद्र सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं, तब से ही किसी न किसी मामले को लेकर वह अपने ही विधायकों व वर्करों के निशाने पर रह रहे हैं। जिस उम्मीद से पार्टी विधायकों व वर्करों ने उन्हें सी.एम. की कुर्सी पर बिठाया था, उनकी वह उम्मीद पूरी होती नजर नहीं आ रही। पिछले 11 महीनों से सी.एम. ने पूरी तरह से अपने विधायकों व वर्करों से दूरी बनाकर रखी हुई है। न तो विधायकों को मिलने का समय दिया जा रहा है और न ही सैक्रेटिएट में बैठ कर विधायकों की बात तक सुनी जा रही है। अब नए फरमान ने तो विधायकों व सी.एम. की दूरी और बढ़ा दी है। सी.एम. से उनकी रिहायश में मिलने जाने वाले विधायकों को अब अपना मोबाइल फोन बाहर रखना होगा यानी कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सी.एम. को अपने ही विधायकों पर विश्वास नहीं रहा। वहीं सी.एम. के इस नए फरमान से पार्टी विधायकों में खासा रोष पनपने लगा है। 2002 से 2007 तक जब कैप्टन प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे तब भी कैप्टन ने अपने मंत्रियों व विधायकों से दूरी बनाए रखी थी, मगर समय-समय पर वह विधायकों व वर्करों की मांग को पूरा भी कर दिया करते थे। मगर अब की बार तो सी.एम. के ठाठ ही निराले हैं। सी.एम. की कुर्सी पर बैठे उन्हें 11 महीने हो गए हैं।