ई दिल्ली – यरूशलम के मुद्दे पर जहां एक तरफ अरब देश भड़के हुए हैं वहीं दूसरी तरफ यूरोपीयन यूनियन भी डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के खिलाफ खड़ी है। फ्रांस ने ट्रंप के फैसले को गलत करार देते हुए खुद को इससे अलग कर लिया है। यूरोपीय संघ की विदेश नीति मामलों की प्रमुख फेडरिका मोगहेरिनी ने यूरोप के दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री से अमेरिकी दूतावास के यरुशलम लाने के फैसले की कड़ी आलोचना की है। यही हाल ब्रिटेन समेत दूसरे देशों का भी है। इनके अलावा कुछ देश ऐसे भी हैं, जिनकी तरफ से इस मामले पर बहुत सधी हुई प्रतिक्रिया दी जा रही है। इनमें भारत भी शामिल है। भारत के परिप्रेक्ष्य में यदि यरूशलम की बात की जाए तो भारत यह साफ कर चुका है कि वह इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र के साथ है। लेकिन भारत के इस बयान से भारत की परेशानियां कम करके नहीं आंकी जा सकती है। ट्रंप के इस फैसले ने भारत को भी मुश्किलों में डाल दिया है।ट्रंप के फैसले के बाद भारत की परेशानियों के मद्देनजर दैनिक जागरण से बात करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और एचडी देवेगौड़ा के मीडिया एडवाइजर एचके दुआ ने कहा कि यह फैसला भारत के लिए मुश्किलों भरा है। उनके मुताबिक इस फैसले को लेने के पीछे अमेरिका की तीन लॉबियां काम कर रही हैं। इनमें से एक लॉबी यहूदियों की है तो दूसरी गन लॉबी और तीसरी है हैल्थ इंश्योरेंस लॉबी। उनका कहना है कि इनके तहत ही ट्रंप फैसले ले रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति ओबामा की हैल्थकेयर पॉलिसी हो या ईरान के साथ किया गया परमाणु करार सभी को पलटने के पीछे यही लॉबी काम कर रही थी और आज भी यही लॉबी काम कर रही है।