सीबीएसई ने 10वीं बोर्ड का मैथ्स का पेपर दोबारा नहीं कराने का फैसला किया है। बाेर्ड ने यह फैसला ऐसे समय किया है, जब दिल्ली-हरियाणा के अलावा मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड में भी मैथ्स का पेपर लीक होने के मामले सामने आए थे। केंद्रीय शिक्षा सचिव ने भी बीते शुक्रवार को कहा था कि जरूरत पड़ी तो सिर्फ दिल्ली, एनसीआर और हरियाणा में दोबारा परीक्षा होगी, क्योंकि पेपर यहीं लीक हुआ है।
– मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सचिव अनिल स्वरूप ने मंगलवार को कहा- “सीबीएसई 10वीं के मैथ्स का पेपर लीक होने की कथित खबरों पर हमने शुरुआती जांच की थी। छात्रों के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए सीबीएसई ने फैसला किया है कि दिल्ली, एनसीआर और हरियाणा में यह पेपर दोबारा नहीं कराया जाएगा।”
लीक होने का तरीका एक जैसा था
1) हुआ क्या: लीक केस मामले की शुरुआत सीबीएसई 12वीं की एग्जाम से हुई थी। पहले खबरें आईं कि 13 दिन पहले अकाउंट्स का पेपर वाॅट्सअप पर सर्कुलेट हुआ था। लेकिन 26 मार्च को इकोनॉमिक्स और 27 मार्च को मैथ्स का वह पेपर लीक हुआ जो हूबहू अगले दिन एग्जाम में आए असली पर्चे जैसा ही था।
2) कैसे हुआ:पेपर लीक करने का तरीका एक जैसा था। पेपर के सारे सवाल हाथ से लिखे गए और उसे वॉट्सएप पर सर्कुलेट कर दिया गया। शक परीक्षा सेंटर के स्टाफ पर है।
3) असर क्या: 10वीं के 16.38 लाख और 12वीं के 8 लाख स्टूडेंट्स पर असर।
बड़ा सवाल : जब वॉट्सऐप से पेपर सर्कुलेट हुए तो री-एग्जाम क्यों नहीं होगा?
मध्य प्रदेश में भी पहुंचा था 10वीं मैथ्स का पेपर
– भोपाल के एक टीचर ने भास्कर को बताया कि 27 मार्च की आधी रात को मैथ्स का पेपर उनके कुछ स्टूडेंट्स के पास पहुंचा। स्टूडेंट्स ने उन्हें यह पेपर दिखाया। टीचर को शक हुआ तो उन्होंने पेपर के फोटो भास्कर से साझा किया। अगली सुबह यानी 28 मार्च को मैथ्स को जो पेपर आया, वह लीक हुए पेपर जैसा ही था।
झारखंड में 10वीं के स्टूडेंट्स के खिलाफ एफआईआर हुई
– झारखंड के चतरा में शुक्रवार को ही सीबीएसई 10वीं के चार छात्रों के खिलाफ पेपर लीक मामले में एफआईआर दर्ज की गई। यानी लीक हुआ पेपर झारखंड तक भी पहुंचने का शक है। बिहार से भी कुछ लोग हिरासत में लिए गए हैं।
इस बार देशभर में सिंगल पेपर फॉर्मेट था
– सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली के मुताबिक, मैथ्स और इकोनॉमिक्स का पेपर देशभर में दोबारा होना चाहिए। दरअसल सीबीएसई ने इसी साल देशभर में एक ही पेपर कराने शुरू किए हैं। इससे पहले हर रीजन के हिसाब से पेपर के सेट अलग-अलग होते थे। अगर वैसा ही सिस्टम होता तो एक रीजन में पेपर लीक होने का असर देशभर के छात्रों पर नहीं पड़ता।
– 2006 और 2011 में पेपर लीकहोेने का असर संबंधित रीजन पर ही पड़ा था।
दिल्ली पुलिस को भी शक है
– दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 10 वॉट्सऐप ग्रुप्स को आईडेंटिफाई किया है। इन ग्रुप्स में 50-60 मेंबर हैं। पुलिस सूत्रों का यह भी कहना है कि पेपर लीक होने के तार हरियाणा के सोनीपत और यूपी के बुलंदशहर से भी जुड़े हो सकते हैं।