~ आज का हिन्दू पंचांग~
⛅दिनांक – 22 अक्टूबर 2022
⛅दिन – शनिवार
⛅विक्रम संवत् – 2079
⛅शक संवत् – 1944
⛅अयन – दक्षिणायन
⛅ऋतु – शरद
⛅मास – कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र में अश्विन मास)
⛅पक्ष – कृष्ण
⛅तिथि – द्वादशी शाम 06:02 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅नक्षत्र – पूर्वाफाल्गुनी दोपहर 01:50 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
⛅योग – ब्रह्म शाम 05:13 तक तत्पश्चात इन्द्र
⛅राहु काल – सुबह 09:32 से 10:58 तक
⛅सूर्योदय – 06:39
⛅सूर्यास्त – 06:09
⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:59 से 05:49 तक
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:59 से 12:49 तक
⛅व्रत पर्व विवरण – धनतेरस, प्रदोष व्रत, धन्वंतरि जयंती, आयुर्वेद दिवस
⛅ विशेष – द्वादशी को पूतिका (पोई) एवं त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹 धनतेरस – 22 अक्टूबर 2022 🌹
🌹अकालमृत्यु निवारण हेतु दीपदान 🌹
🌹 धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि ने दुःखीजनों के रोग-निवारणार्थ आयुर्वेद का प्राकट्य किया था । इस दिन संध्या के समय घर के बाहर हाथ में जलता हुआ दीप लेकर भगवान यमराज की प्रसन्नता हेतु उन्हें इस मंत्र के साथ दीपदान करना चाहिए । इससे अकाल मृत्यु नहीं होती ।
🌹 मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह । त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति ।।
🌹 यमराज को दो दीपक दान करने चाहिए व तुलसी के आगे दीपक रखना चाहिए । इससे दरिद्रता मिटाने में मदद मिलती है । (स्कंद पुराण, वैष्णव खंड)
(ऋषि प्रसाद : नवम्बर 2012)
🌹 काली चौदस/ नरक चतुर्दशी – 24 अक्टूबर 🌹
🌹 नारकीय यातनाओं से रक्षा 🌹
🌹 नरक चतुर्दशी (काली चौदस) के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल-मालिश (तैलाभ्यंग) करके स्नान करने का विधान है । ‘सनत्कुमार संहिता’ एवं ‘धर्मसिंधु’ ग्रंथ के अनुसार इससे नारकीय यातनाओं से रक्षा होती है ।
🌹 काली चौदस और दीपावली की रात जप-तप के लिए बहुत उत्तम मुहूर्त माना गया है । नरक चतुर्दशी की रात्रि में मंत्रजप करने से मंत्र सिद्ध होता है ।
🌹 इस रात्रि में सरसों के तेल अथवा घी के दिये से काजल बनाना चाहिए । इस काजल को आँखों में आँजने से किसी की बुरी नजर नहीं लगती तथा आँखों का तेज बढ़ता है ।
🌹 दीपावली – 24 अक्टूबर 2022🌹
🌹 सुख-सम्पत्ति की वृद्धि के लिए दो विशेष दीपक
दीपावली के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उसपर दो दीपक जला दें । हो सके तो वें रात भर जलते रहें, इससे आपके घर में सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होगी । दीपावली की रात मंदिर में रातभर घी का दीया जलता रहे सूर्योदय तक, तो बड़ा शुभ माना जाता है ।
🌹 प्रसन्नता एवं रोगप्रतिकारक शक्ति-वर्धक – तोरण
पहले के जमाने में गाँवों में दीपावली के दिनों में नीम और अशोक वृक्ष के पत्तों के तोरण (बंदनवार) बांधते थे । अशोक और नीम के पत्तों में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है । उस तोरण के नीचे से गुजरकर जाने से वर्षभर रोगप्रतिकारक शक्ति बनी रहती है । वर्ष के प्रथम दिन आप भी अपने घरों में तोरण बाँधकर इसका लाभ उठाएं ।
🌹 बाजारू मिठाईयों, कुरकुरे आदि से सावधान!
मिठाईयों में शुद्ध बेसन व शुद्ध चीजों की बनी मिठाई शगुन समझकर थोड़ी बहुत खा लें लेकिन रसगुल्ले, मावा, पनीर से बनी मिठाईयाँ दूर से ही त्याग दें । मावा, रसगुल्ला व बर्फी किडनी, हृदय, नाड़ीतंत्र एवं पाचनतंत्र को नुकसान पहुँचाते-पहुँचाते असमय बुढ़ापा और बुढ़ापे में ऑपरेशनों का शिकार बना देते हैं । कुरकुरे आदि नमकीन में कुरकुरापन बढ़ाने के लिए बेसन के बदले चावल का आटा मिलाया जाता है, जो आँतों के लिए बहुत हानिकारक है ।