लुधियाना, 27 सितम्बर (प्रेस की ताकत बयूरो)- पंजाब कैबिनेट की बनावट पर चरनजीत चन्नी और नवजोत सिद्धू का कंट्रोल होने की बात कही जा रही है क्योंकि कैप्टन अमरिन्दर सिंह के तख़्ता पलट में सिद्धू साथ-साथ चन्नी की अहम भूमिका रही है। उन्हों ने स्टैंड ले कर कैप्टन के करीबी मंत्रियों राणा सोढी, साधु सिंह धरमसोत, बलबीर सिद्धू, गुरप्रीत कांगड़ और सुंदर शाम अरोड़ की छंटनी करवा दी है। इस के बावजूद कैप्टन के वफ़ादारें को मंत्री बनाने के फ़ैसले को ले कर सवाल खड़े हो रहे हैं जिन में ओ. पी. सोनी, ब्रह्म महेन्दरा, भारत भूषण आशु, विजय इंद्र सिंगला को दोबारा कैबिनेट में प्रविष्टि मिल गई है। इस लिए चाहे हाईकमान की सिफारिश होने की चर्चा सुनने को मिल रही है परन्तु कैप्टन के ख़ैमे में शामिल रहे राणा गुरजीत सिंह, राज कुमार वेरका, गुरकीरत सिंह कोटली को मंत्री बनाने का फ़ैसला किसी के गले नहीं उतर रहा है, जिस को कैप्टन की तरफ से दी जा रही बग़ावत करन की चेतावनी की हवा निकालने की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है। ऐसा इस लिए भी क्योंकि कैप्टन को तोड़ कर जो नये मंत्री बनाऐ गए हैं, उन को विधायकों के ग्रुप का समर्थन हासिल है, जिस में कोटली के साथ ऐम्म. पी. रवनीत बिट्टू, विधायक लखवीर सिंह पायल, नवतेज चीमा, गुरप्रीत जी. पी. सुखपाल भुल्लर जुड़े हुए हैं जबकि रमनजीत सिक्की, लाडी शोरेवालिया को राणा गुरजीत के ग्रुप के रूप में देखा जाता है।