समराला, 1 अक्टूबर (प्रेस की ताकत बयूरो)- एक तरफ़ पंजाब सरकार सरकारी स्कूलों में पढ़ते बच्चों को समय का साथी बनाने के लिए मुफ़्त विद्या और मिड -डे -मील जैसी सहूलतें देने के प्रशंसा भरे श्ब्द गा रही है। दूसरे तरफ़ दसवीं और बारहवीं जमातों के पास और फैल हुए विद्यार्थियों से सर्टिफिकेट देने बदले करोड़ों रुपए खिसकाने की योजना पर भी काम कर रही है। जानकारी अनुसार दसवीं और बारहवीं के शैशन 2020 -21 दौरान पंजाब शिक्षा बोर्ड के साथ सम्बन्धित निजी स्कूलों साथ-साथ सरकारी स्कूलों के पास और फैल विद्यार्थियों को अब जब अपने सरटीफिकेटों की ज़रूरत पड़ी तो बोर्ड की नयी हिदायतें अनुसार आनलाइन पोर्टल पर प्रति सर्टिफिकेट 300 रुपए फ़ीस माँग के लिए गई।
इस फ़ीस सम्बन्धित विद्यार्थियों को पहले बिल्कुल भी इल्म नहीं था, क्योंकि इस से पहले ऐसा कोई नियम लागू नहीं था। बोर्ड की तरफ से ऐसा नियम जारी कर माँ बाप की जेब में से करोड़ों रुपए खिसका लिए जाएंगे। सूत्रों अनुसार गुज़रे वर्ष के शैक्षिक शैशन दौरान दसवीं जमात में 3लाख 21 हज़ार 378 विद्यार्थियों ने पेपर दिए थे, जिन की तरफ से अब अपनी -अपने सर्टिफिकेट हासिल करने हैं। यदि यह विद्यार्थी हिदायतें अनुसार 300 रुपए प्रति सर्टिफिकेट संचित करवाते हैं तो शिक्षा बोर्ड इन के माँ बाप की जेब में से 9करोड़ 64 लाख 13 हज़ार 400 रुपए वसूलदा है। इसी तरह वीं जमात के पेपर देने वाले 2लाख 92 हज़ार 664 विद्यार्थी के माँ बाप की जेबों में से 8करोड़ 77 लाख 99 हज़ार 200 रुपए खिसका लेगा।
इस तरह दोनों जमातों के विद्यार्थियों के माँ बाप की जेब में से 18 करोड़ 42 लाख 12 हज़ार 600 रुपए शिक्षा बोर्ड के खाते चले जाएंगे। सरकारी स्कूलों में पढ़ते विद्यार्थियों के माता पिता शिक्षा बोर्ड के इस फ़ैसले से निराश हैं। उन की माँग है कि माँ बाप के सिर पड़े इस बोझ को उतारा जाये, क्योंकि सरकारी स्कूलों समेत बहुत से निजी स्कूलों में, जो पंजाब शिक्षा बोर्ड अधीन चल रहे हैं, में ज़्यादातर गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ रहे हैं। ऊपर से कोविड की मार ने उन को पहले से ही आर्थिक तौर पर तोड़ा हुआ है।
इस सम्बन्धित जब शिक्षा बोर्ड के ज़िला डीपू मैनेजर तरलोचन सिंह के साथ बातचीत की गई तो उन कहा कि बोर्ड के उच्च आधिकारियों के फ़ैसले हैं। इन सम्बन्धित हम कुछ भी नहीं कह सकते परन्तु उन्हों ने इस बात को कबूल किया कि इस शैशन में पहली बार विद्यार्थियों से सर्टिफिकेट लेने बदले 300 रुपए जमा करवाने की हिदायतें जारी हुई हैं।
जब फ़ीसों पहले ही संचित हैं तो फिर अब किसकी फ़ीस?
माँ बाप का यह भी कहना है कि बोर्ड की तरफ से जारी नियमों अनुसार बच्चों की तरफ से पहले ही वीं और वीं की रजिस्ट्रेशन फ़ीस और दसवीं और बारहवीं की कंटीन्यूशन फ़ीस के इलावा वीं और वीं के बोर्ड परीक्षा फ़ीस बाकायदा रूप में जमा करवाई जाती है। इस के बावजूद ऐसी कोई गुंजाईश नहीं बनती कि अब बच्चों से सरटीफिकेटों के नाम पर 300 रुपए के हिसाब के साथ करोड़ों रुपए ओर बटोरे जाएँ।