जालंधर, प्रेस की ताकत ब्यूरो- 23 नवंबर 2021
प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी ने तीन खेती कानूनों को वापस लेने का ऐलान तो कर दिया परन्तु इस के बावजूद किसान आंदोलन ख़त्म हो जायेगा, इस बात को ले कर शक बना हुआ है। प्रधान मंत्री ने जब कानून वापस लेने का ऐलान किया था तो कहा था कि ज़ीरो बजट आधारत खेती को उत्साह देने और MSP को ज़्यादा पारदर्शी बनाने के लिए समिति का गठन किया जायेगा। इस समिति में केंद्र सरकार, सूबा सरकार, किसान प्रतिनिधि, कृषि अर्थशास्त्री और खेती विज्ञानी भी शामिल होंगे।
MSP भाव कम से -कम समर्थन कीमत पर गारंटी का कानून है, जिस को ले कर माँग उठ रही है। लखनऊ में एक महापंचायत भी हुई, जिस में यह बात स्पष्ट की गई है कि खेती कानून ख़त्म करन साथ-साथ MSP गारंटी का कानून भी बनाया जाये।
देश में अब तक कम से -कम समर्थन कीमत व्यवस्था 23 अलग -अलग फ़सलों पर लागू है। हर साल इन फ़सलों की पैदावार दौरान इन का MSP निर्धारण सरकार की तरफ से किया जाता है। इसी कीमत पर केंद्र और सूबा सरकारों की एजेंसियाँ फ़सल उठातीं हैं। सरकार के हुक्मों के बावजूद MSP का फ़ायदा सभी किसानों को नहीं मिलता।
खेती की लागत के इलावा दूसरे कई फ़ैक्टर्स के आधार पर कृषि लागत और कीमत कमीशन (CACP) फ़सलों के लिए ऐम्म. ऐस्स. पी. का निरधारन करता है। किसी फ़सल की लागत के इलावा उस की माँग और स्पलाई की स्थिति को ध्यान में रखते हुए फ़सलों के साथ तुलना पर भी विचार किया जाता है। सरकार इन सुझायूँ का अध्ययन करन के बाद MSP का ऐलान करती है।
देश में सरकार की तरफ से अब तक जिन 23 फ़सलों को निर्धारित किया गया है। आने वाले समय में सरकार कुछ ऐसे कदम उठा सकती है, जिन की हाल ही में रिर्सच रिपोर्ट में सिफारिश की गई है। इस रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को ऐम्म. ऐस्स. पी. की गारंटी देने की यज्ञों 5साल के लिए कम से -कम फ़सल खरीद की गारंटी देनी चाहिए।